अच्छी वर्षा से खरीफ के नुकसान में 40 प्रतिशत की कमी

 

कोरबा । जिले के किसानों को बीते मानसून का बेहतर साथ मिला। इसका नतीजा यह रहा कि सिंचाई विहीन क्षेत्र के किसानों को भी अच्छी फसल मिली। इस बार रिकार्ड 28 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थीा। 2022-23 में 2510 किसानों की फसल कम वर्षा की वजह से खराब हो गई थी। इस वर्ष यानी खरीफ वर्ष 2023-24 वर्ष केवल 1678 किसानों को ही आंशिक नुकसान हुआ।  यही वजह है कि प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत बीते वर्ष के मुकाबले 40 प्रतशित कम मुआवजा राशि भुगतान किया गया है। आगामी खरीफ वर्ष में भी बेहतर मानसून का अनुमान है। 600 रूपये प्रति क्विंटल मूल्य वृद्धि और प्रति एकड़ 21 क्विटल खरीदी होने से धान की खेती में किसानों की रूचि बढ़ गई है। किसानाें को फसल नुकसान से बचाने के लिए प्रतिवर्ष बीमा कराया जाता है। जिले में एक लाख 24 हजार कृृषि कार्य से किसान जुड़े हैं। बीमा कराने वालों की संख्या 50 प्रतिशत से भी कम है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि केवल ऋण लेने वाले किसानों को ही बीमा से जोड़ा जाता है। अऋणी किसानों को बीमा के लिए प्रेरित नहीं किया जाता।  खरीफ वर्ष 2023-24 में बीमा कराने वाले किसानाें की संख्या पर गौर किया जाए तो 19 हजार 988 ऋणी और छह हजार 489 अऋणी किसान शामिल थे। 26 हजार 477 किसानों का 22 करोड़ 58 लाख बीमा राशि एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कंपनी में जमा हुआ था। बीमा राशि में राज्य और केंद्र शासन ने 19 करोड़ 42 लाख भुगतान किया था। इसमें किसानाें का अंश तीन करोड़ 15 लाख रहा।  बीमा राशि का खाते में समायोजित होने से किसानों को आगामी खरीफ फसल की बुआई में सुविधा होगी। जिले में धान के अलावा दलहन, तिलहन और सब्जी की भी खेती होती हैं, लेकिन बीमा योजना में केवल धान खेती को ही शामिल किया जाता है। अन्य फसल लेने वालों को प्रेरित नहीं किए जाने से बीमित किसानों की संख्या कम है। इसके अलावा कीट प्रकोप में होने वाले नुकसान को बीमा में शामिल नहीं किया जाता। बीते खरीफ वर्ष में 98,900 हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी। बीमित क्षेत्रफल का अवलोकन किया जाए तो 38 हजार 157 हेक्टेयर भूमि के फसलों की बीमा हुई थी। 60 प्रतिशत धान रकबे का फसल बीमा नहीं हुआ था। वास्तविकता यह है कि कृषि अमले की ओर से बीमा योजना का प्रचार प्रसार नहीं किए जाने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। कृषि विभाग के अधिकारी की माने तो सबसे अधिक नुकसान पहाड़ से लगे खेतों को होता है। अधिक वर्षा होने के दौरान पहाड़ के ऊपर जमा होने वाला पानी तेज गति से समतल भूमि में उतरता हैं। गति अधिक होने के कारण खेतों का मेढ़ टूटता है और खेतों में मिट्टी भर जाता है। पाली, चैतमा, पोड़ी उपरोड़ा के पहाड़ी क्षेत्र से घिरे गांवाें में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। पहाड़ से बहकर आने वाले जल प्रवाह के लिए निकास की व्यवस्था नहीं किए जाने से प्रति वर्ष हजारों क्यूसेक पानी व्यर्थ बह जाता है। पीएम बीमा का लाभ पाने वालों में ज्यादातर ऋणी किसानों को ही लाभ मिलता है। ऋण लेते ही सहकारी बैंक उन्हे बीमा योजना से जोड़ देता है। ऋण योजना से किसानों की साख बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे भी किसान हैं जो बिना ऋण लिए खेती करते हैं। ऐसे किसानाें के बीमा योजा से जोड़ने की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है। किंतु बीमा नहीं कराने के कारण उन्हे फसल नुकसान की कीमत चुकानी पड़ती है। बीमा में दावा राशि पाने के लिए किसान अब जागरूक होने लगे हैं। रकबा में हो रही बढ़ोतरी से माना जा रहा है कि आगामी खरीफ फसल में बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि होगी। खरीफ फसल की अपेक्षा रबी में बीमा कराने वाले किसानों की संख्या शून्य है। जिले के 80 प्रतशित किसान रबी फसल में खेती नहीं करते। खेती के लिए जिले केवल 48 प्रतिशत रकबा ही सिंचित है। खरीफ की खेती यहां मानसून के भरोसे होती है, वहीं रबी के लिए सिंचाई की सुविधा नहीं है। सिंचित रकबे की अभाव में ग्रीष्म भर किसानों के खेत बिना फसल के खाली पड़े रहते हैं। सिंचाई सुविधा विस्तार के लिए बनाए गए बांगो व दर्री बांध का लाभ किसानों को नहीं मिलता। अधिकांश जलाशय गर्मी में सूख जाते हैं। इनकी उपयोगिता ग्रीष्म के लिए तो दूर खरीफ के लिए कारगर नहीं है। पीएम बीमा योजना- 2023-24 19,988- बीमा कराने वाले ऋणी किसान 6489- बीमा कराने वाले अऋणी किसान 22.58- करोड़ सकल प्रीमियम 1678- किसानों का फसल नुकसान 4.01- करोड़ रूपये दावा राशि का भुगतान खरीफ वर्ष 2023-24 में 26 हजार 477 किसानाें ने बीमा कराया था। एक हजार 678 किसानों का फसल नुकसान हुआ। बीमा कंपनी ने 4.01 करोड़ का भुगतान किया गया है। इस वर्ष भी बेहतर मानसून का अनुमान है। अधिक से अधिक किसान बीमा का लाभ लें इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। डीपीएस कंवर, सहायक उप संचालक कृषि