पूर्व सीएम भूपेश के विधायकी पर मंडरा रहा खतरा


 बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने आचार संहिता के उल्लंघन के एक मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को नोटिस जारी किया है। बघेल के भतीजे और भाजपा सांसद विजय बघेल ने हाई कोर्ट में पाटन विधानसभा के चुनावी नतीजे रद किए जाने की मांग वाली याचिका दायर की है। जिसपर हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा भारत निर्वाचन आयोग को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी। याचिकाकर्ता ने पूर्व सीएम को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग अपनी याचिका में की है। याचिकाकर्ता विजय बघेल ने अपनी याचिका में कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल ने चुनाव प्रचार के नियमों का उल्लंघन किया था। चुनाव प्रचार थमने के बाद भी भूपेश बघेल के समर्थन में केसरा गांव में रैली निकाली गई थी। विजय बघेल ने कोर्ट में साक्ष्य भी पेश किए हैं। इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने विधायक बघेल के निर्वाचन को शून्य घोषित करने के साथ ही चुनाव लड़ने से अयोग्य करने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कानूनी प्रविधानों के अलावा भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइड लाइन का हवाला देते हुए कहा है कि आयोग के प्रविधान में यह स्पष्ट है कि किसी भी उम्मीदवार को मतदान के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले की अवधि के भीतर किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बैठक या जुलूस निकालने, आयोजित करने, भाग लेने, शामिल होने या संबोधित करने की मनाही है। 16.नवंबर .2023 को तत्कालीन सीएम व पाटन विधानसभा सीट से विधायक प्रत्याशी भूपेश बघेल ने रैली व रोड शो में हिस्सा लिया। यह धारा 126 का उल्लंघन है।रैली में पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा कई सरकारी कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों ने भी तत्कालीन सीएम व कांग्रेस उम्मीदवार भूपेश बघेल की मदद की। याचिका में कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे। निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव कराने की उनकी जिम्मेदारी थी। कानूनी प्रविधानों और भारत निर्वाचन आयोग के नियमों व मापदंडों की जानकारी होने के बाद नियमों व कानून का उल्लंघन किया है। यही नहीं अपने पद व प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए पाटन निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणाम को प्रभावित किया है। राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है।