पोट्ठ लईका अभियान अंतर्गत यूनिसेफ की टीम ने दिया प्रशिक्षण

 

जिले में कुपोषण दर में कमी लाने मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को दिया गया प्रशिक्षण

बेमेतरा । पोट्ठ लईका अभियान अन्तर्गत जिले में कुपोषण दर में कमी लाने आज बुधवार को जिला पंचायत कार्यालय के सभागार में यूनीसेफ के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में अनुविभागीय अधिकारी (रा.) बेमेतरा सुरुचि सिंह, महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारी सहित मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनीसेफ छत्तीसगढ़ से आए डॉ. भारती साहू ने सभी मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को कुपोषण के लक्षण एवं कुपोषण को दूर करने के संबंध में जानकारी दी। उन्होने बताया कि हमें उस समय पर ध्यान देना चाहिए जब बच्चा ठोस आहार खाना शुरू करता है क्योंकि उस समय में कुपोषण की संभावना अधिक होती है इसलिए माताओं को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इस दौरान कुपोषण को दूर करने के लिए चलाए जा रहे सुपोषण अभियान के बेहतर संचालन हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए। गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से खुद को और बच्चों को बचाने के उपाय भी बताए। तिरंगा भोजन का महत्व बताए, यानी थाली में तिरंगे का रंग होना सफेद चावल, दूध और अंडे के लिए है, हरा रंग हरी सब्जियों के लिए है और केसरिया या पीला दाल, छोले, सोयाबीन, मांस आदि के लिए है। हमारी थाली में तीनों रंगों का होना संतुलित आहार के लिए महत्वपूर्ण है। सिर, बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथ धोने और भोजन करने से पहले हाथ धोने के महत्व के बारे में भी बताया गया। कुपोषित बच्चों, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को जितना संभव हो उतना पौष्टिक भोजन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैं। मिड-डे-मील योजना (एमडीएम) स्कूल जाने वाले बच्चों की देखभाल करती है, पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी में माताओं और बच्चों को खाने के लिए गर्म भोजन परोसा जाता है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत अंडे और केले का भी वितरण किया जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ इन योजनाओं ने भोजन की उपलब्धता की समस्या को समाप्त कर दिया है। कुपोषण दूर करने की दिशा में ये बड़े कदम हैं। हालांकि, अभी भी एक अंतर मौजूद है जिसमें कब और क्या खाना चाहिए, इसके बारे में जानकारी सभी परिवारों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है। इस प्रकार, पोषण परामर्श और व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम की आवश्यकता है। इन सभी कारण से बेमेतरा जिले ने पोट्ठ लाइका अभियान की शुरुआत की है। पायलट प्रोजेक्ट में बेमेतरा अनुभाग के 40 गांवों को कवर किया जाएगा। मुख्य उद्देश्य जिले में कुपोषण को खत्म करना (गंभीर तीव्र कुपोषण बच्चों की संख्या को शून्य करना) है।

इस मिशन के तहत होने वाली गतिविधियां इस प्रकार हैं :-प्रत्येक शुक्रवार महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग व बिहान के कार्यकर्ता उक्त 40 गांवों के एक-एक घर में जाकर बच्चों के माता-पिता को समझाएंगे कि क्या खाएं और कब खाएं, उन्हें तिरंगा भोजन के बारे में बताया जाएगा, खाना खाने से पहले हमेशा हाथ धोना चाहिए, रेडी-टू-ईट कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और अपने बच्चों को दिन में कम से कम 3 बार कैसे खिलाना चाहिए। वे उन्हें जंक फूड को ना कहने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे और प्रोटीन (अंडे, दूध, मांस, मछली, दाल, सोयाबीन, आदि) के महत्व को भी समझाएंगे। वे माता-पिता को यह भी याद दिलाएंगे कि वे अपने बच्चों को हमेशा आंगनबाड़ियों में भेजें और अपने बच्चों को आयरन फोलिक एसिड की गोलियां समय पर दें। यह गांव के सभी घरों के लिए होगा लेकिन कुपोषित बच्चों के घरों पर विशेष ध्यान होगा। कलेक्टर महोदय के निर्देशानुसार हमें उस समय पर ध्यान देना चाहिए जब बच्चा ठोस आहार खाना शुरू करता है क्योंकि उस समय में कुपोषण की संभावना अधिक होती है इसलिए माताओं को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। कुपोषण अंकेक्षण और सूक्ष्म पोषक तत्व योजना-कुपोषण पर चर्चा करने के उद्देश्य से 40 गांवों के प्रत्येक मोहल्ले को इकट्ठा किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पंचायत सचिव और सरपंच की होगी। इस प्रक्रिया में आंगनवाड़ी दीदी और मितानिन दीदी मदद करेंगी। यहां ग्राम सभा सदस्य आपस में चर्चा करेंगे पंचायत सचिव चार्ट पेपर पर विवरण लिख जाएगा। प्रभावित करने वालों की सूची सीईओ जनपद कार्यालय द्वारा एसडीएम कार्यालय को भेजी जायेगी। इन प्रभावित करने वालों में 40 पायलट गांवों के सरपंच, सचिव, बिहान की सकरीया महिला, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक, मितानिन पर्यवेक्षक, राजीव युवा मितान अध्यक्ष शामिल होंगे। इन प्रभावितों को यूनीसेफ द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा कि ग्रामीणों को पोषण परामर्श कैसे प्रदान किया जाए।