दो दिग्गज नेताओं के स्वजनों के बीच हुई मारपीट की घटना ने तूल पकड़ लिया है

 

जशपुरनगर। जिले के पत्थलगांव अस्पताल में बीते 31 मई को कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के स्वजनों के बीच हुई मारपीट की घटना ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पवन अग्रवाल के बेटे डा विकास गर्ग की याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्थलगांव के कांग्रेसी विधायक रामपुकार सिंह के नाती सूरज सिंह ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश एसपी जशपुर को दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि 31 मई को पत्थलगांव के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र इलाज को लेकर डा विकास गर्ग और सूरज सिंह ठाकुर के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद को लेकर दोनों पक्षो ने पत्थलगांव थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए सूरज सिंह ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष पवन अग्रवाल समेत उनके पुत्र डा विकास गर्ग व नीरज अग्रवाल के विरुद्ध आईपीसी की धारा 294,506,323,34 और एसटीएससी एक्ट की धारा 3(1) (द) (ध) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया था। वहीं पत्थलगांव थाना समेत जशपुर एसपी के पास सूरज सिंह के विरुद्ध डा विकास गर्ग ने शिकायत की थी।जिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने से डा विकास गर्ग ने अपने वकील अभिषेक सिन्हा व समर्थ सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए सूरज सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की थी। डा विकास गर्ग ने याचिका में कहा याचिकाकर्ता डा विकास गर्ग ने अपनी याचिका में कहा है कि वह एक डाक्टर हैं और 31 मई को पत्थलगांव में ड्यूटी करते समय राजनीतिक रसूख रखने वाले वाले व्यक्ति ने उसके साथ मारपीट, गाली-गलौज की।जिसकी शिकायत उन्होंने 6 जून को किया था। इसके बाद भी उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई ।याचिकाकर्ता के वकील ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले (2014) 2 एससीसी 1 में सीधे उल्लंघन है बताते हुए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और शिकायत की जांच करने का निर्देश दिए जाने की मांग हाईकोर्ट से की थी। उक्त मामले में घटना को अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा भी देखे जाने का उल्लेख याचिका में किया गया है। मामले की शिकायत एसपी से भी की गई थी। डा गर्ग ने अपने आवेदन में छत्तीसगढ़ मेडिकेयर सर्विस पर्सन्स एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और क्षति या संपत्ति के नुकसान की रोकथाम) अधिनियम, 2010 के तहत भी आरोप लगाए गए थे।इसके बावजूद मामले में पत्थलगांव पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया था। हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि जब संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है, तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य होती है। इसलिए ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में निर्धारित सिद्धांतों का पालन करते हुए,पुलिस को एफआईआर करने का निर्देश दिया जाता है। ललिता कुमारी के मामले में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करें और इसकी जांच करें और इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने के दो सप्ताह के भीतर जांच शुरू करें।मामले को लेकर एडिशनल एसपी प्रतिभा पांडेय ने बताया कि उन्हें उच्चाधिकारियों द्वारा कोई निर्देश नहीं मिला है।हाईकोर्ट संबंधी मामले विधि शाखा में आते है जिसके बाद उसमें निर्देश के अनुसार कार्रवाई की जाती है।