रायपुर । छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक मई को मजदूर दिवस पर बोरे बासी खान-पान का शुभारंभ किया जा रहा है। संस्कृति विभाग परिसर स्थित गढ़ कलेवा में बोरे बासी का स्वाद लिया जा सकेगा। बता दें कि इससे पहले सीएम भूपेश बघेल ने घोषणा की थी।
ऐसे बनाया जाता है बोरे बासी, अचार-चटनी के साथ स्वाद हो जाता है निराला
रात में पके हुए चावल को रातभर पानी में भिगोकर सुबह भाजी, टमाटर की चटनी, प्याज, बरी- बिजौरी और आम-नींबू के अचार के साथ खाया जाता है। छत्तीसगढ़ के गांवों में अधिकतर घरों में बोरे बासी से दिन की शुरुआत होती है। मजदूर तबके के लोग दोपहर में कड़ी मेहनत करने के बाद बोरे बासी का सेवन कर अपनी भूख मिटाते हैं।
विटामिन से भरपूर
बोरे बासी विटामिन बी 12 से भरपूर होती है। साथ ही इसके सेवन से ब्लड और हाइपरटेंशन कंट्रोल होता है। इसमें आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। इसे खाने से पाचन क्रिया सही सहती है और शरीर में ठंडकता रहती है। सदियों से छत्तीसगढ़ के किसान, मजदूरों के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग इसका सेवन करते आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ी खानपान को संरक्षित रखना उद्देश्य
संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप बोरे बासी का शुभारंभ गढ़ कलेवा में किया जा रहा है। आज की आधुनिकता और भागदौड़ की होड़, जागरूकता की कमी के कारण छत्तीसगढ़ी खान-पान को संरक्षित करने और प्रचार-प्रसार के लिए राजधानी में इसकी शुरुआत की जा रही है।
गांव-गांव में पहली पसंद
छत्तीसगढ़ के गांवों में प्राय: हर घर में बोरे बासी पसंद की जाती है।
बच्चे, युवा, बुजुर्गों के खानपान में पहली पसंद बोरे बासी है। शहरों में
इसका चलन कम है, लेकिन इच्छा सभी की होती है कि वे बोरे बासी का आनंद ले
सकें। अब गढ़ कलेवा में युवक-युवतियां भी बोरे बासी का स्वाद लेने
पहुंचेंगे।
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