इमरान खान को मिल सकती है राहत

 


इस्लामाबाद। पाकिस्तान के संघीय मंत्री फवाद चौधरी ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान अगले सप्ताह हो सकता है। आपको बता दें कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (एनए) सत्र की कार्यवाही आज शुरू हुई। आज सदन के नए नेता का चुनाव शुरू हो गया है। जियो न्यूज ने बताया कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक- ई-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने सांसदों को 'विदेशी साजिश' पर लंबा भाषण देने का निर्देश देकर कार्यवाही को बाधित करने और मतदान में देरी के लिए अपनी रणनीति तैयार की है।

जियो न्यूज से बात करते हुए सूचना और कानून मंत्री ने कहा कि विदेश सचिव सदन को "खतरे वाली चिट्ठी" पर जानकारी देंगे, इसलिए अविश्वास पर मतदान नहीं हो सकता है। इसे अगले सप्ताह तक के लिए टाल दिया जा सकता है। 

सूत्रों के अनुसार, अदालत के आदेशों के बावजूद पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार ने आज अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली के पीटीआई सदस्यों को "एनए सत्र के दौरान लंबी बहस" करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसलिए मतदान को समय की कमी के कारण टाला जा सकता है।

एक दिन पहले एक ऐतिहासिक फैसले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कासीर को शनिवार (9 अप्रैल) को प्रीमियर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोट देने की अनुमति देने के लिए शनिवार को सत्र बुलाने का आदेश दिया था। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने असेंबली को भंग करने के सरकार के फैसले और एनए के उपाध्यक्ष कासिम सूरी के फैसले को संविधान के खिलाफ घोषित करने के बाद नेशनल असेंबली को भी बहाल कर दिया था।

दूसरी ओर, नेशनल असेंबली सचिवालय ने सदस्यों से आग्रह किया कि पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान आज ही होना चाहिए, अन्यथा स्पीकर पर अदालत की अवमानना ​​का आरोप लगाया जा सकता है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को जारी एनए के छह सूत्री एजेंडे में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान चौथे स्थान पर है।

एक दिन पहले पीटीआई की राजनीतिक समिति ने सुझाव दिया था कि पार्टी को केंद्र, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में विधानसभाओं से सामूहिक इस्तीफे सौंपने चाहिए। यह सुझाव प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में पीटीआई की राजनीतिक समिति की बैठक के दौरान आया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई और इस पर विचार-विमर्श किया गया कि क्या कथित विदेशी साजिश को ''खतरे वाली चिट्ठी''सार्वजनिक किया जाए।