रैली ककून बैंक से चार हजार महिलाओं को फायदा

 


रायपुर। बस्तर संभाग में रैली ककून (कोसाफल) से अब आदिवासियों की आय में बढ़ोतरी होगी। रैली ककून का संग्रहण कर राज्य में ही धागा उत्पादन एवं प्रसंस्करण की व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री रेशम मिशन की शुरुआत की जाएगी। जगदलपुर से 30 किमी दूर नानगूर गांव में ककून बैंक की स्थापना की जाएगी। इससे 200 स्व-सहायता समूहों की करीब चार हजार महिलाओं को धागाकरण के लिए रैली ककून उपलब्ध कराएगा जाएगा। साथ ही स्व-सहायता समूहों को धागाकरण के लिए प्रशिक्षण और मशीन उपकरण की सहायता दी जाएगी। इससे महिलाओं को प्रतिमाह छह से सात हजार तक की अतिरिक्त आय होगी। 

एक कोसाफल में 1500-1700 मीटर धागा

विज्ञानियों के अनुसार एक कोकून से 1500-1700 मीटर लंबा धागा प्राप्त किया जा सकता है। रैली कोसा (टसर रेशम) वन्य रेशम का ही एक प्रकार है, जो विश्व में केवल बस्तर संभाग में ही उत्पादित होता है। नैसर्गिक कोसा गुणवत्तायुक्त होने के कारण व्यापारियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।

इन शहरों में है मांग

अभी बस्तर संभाग के प्रमुख व्यापारियों द्वारा क्रय किए गए कोसाफलों को भागलपुर, भगैया, कटोरिया, कटक, चांपा, जांजगीर, रायगढ़ क्षेत्र में विक्रय कर दिया जाता है। जहां करोड़ों रुपये में व्यापार हो रहा है। बस्तर के वनक्षेत्रों में साल, साजा, अर्जुन, महुआ, बेर, सेन्हा, हर्रा, बेहड़ा के पेड़ पर कोसा के कृमि पत्तियां खाकर कोसाफल का निर्माण करते हैं। 

कवर्धा के जंगलों में संवर्धन का प्रयास

जानकारी के अनुसार शासन अभी कवर्धा के जंगलों में इसके कीट के प्रतिस्थापन एवं संवर्धन का प्रयास किया जा रहा है। रैली कोसा उत्पादन आदिकाल से आदिवासियों द्वारा परंपरागत रूप से घने जंगलों में किया जाता है।