उपचार ही नहीं, जीवन भी संवारने का काम कर रही है 'हेल्पिंग हैंड`

 

रायपुर । अलका (परिवर्तित नाम) कहां की रहने वाली है, ये कोई नहीं जानता। न तो वो ठीक से बात कर पाती है, न ही कोई उसके साथ है। यहां-वहां घूमती रहती अलका एक दिन आंबेडकर अस्पताल के प्रतीक्षालय में आकर रुक गई। यहां उसे स्त्रीजनित परेशानियां होने लगी पर वो अस्पताल के भीतर तक नहीं जाना चाहती थी। आपसी चर्चाओं में अस्पताल की एक नर्स को इसके विषय में जानकारी मिली। उसने अलका को भर्ती कराया। उसका उपचार कराया। अलका ठीक हो गई।

मदर टेरेसा आश्रम में काट रही जीवन

अब समस्या ये थी कि वो अस्पताल के बेड को छोड़ना नहीं चाहती थी। उसे इस बात की चिंता थी कि वो बाहर निकली तो फिर कहां जाएगी? न जाने वह कौन सी भाषा में बात करती थी पर नर्स को यही समझ आया कि यहां उसका कोई भी नहीं है। नर्स ने रायपुर के मदर टेरेसा आश्रम में बात करके अलका को वहां भिजवा दिया। अब इस आश्रम में अलका सब्जी काटना, फूलों का पानी देने और साफ-सफाई का काम करती है। काम के एवज में वह सम्मान के साथ वहां भोजन करती है। लोग बताते हैं कि अब अलका के चेहरे का रंग बदल गया है। कल तक मुरझाई और भयभीत दिखने वाली अलका के चेहरे पर अब शांति और आत्मविश्वास दिखने लगा है।

नर्स रंजना के साथ जुड़ी हैं 25 से अधिक नर्स

अलका के जीवन में आई इन श्रेष्ठ परिस्थितियों का श्रेय आंबेडकर अस्पताल की नर्स रंजना सिंह ठाकुर को जाता है। बीते 15 वर्षो से अस्पताल में नर्स के रूप में सेवा दे रही रंजना पहले से ही मरीजों की सहायता करती थी। किसी को दवा, किसी को पुराने कपड़े देकर वो स्वयं के भीतर मानवता को जीवित रखे हुए थी। रंजना की इस सेवा भाव से अन्य नर्से भी प्रभावित हुई। इन वर्षो में उसके साथ 25 से से अधिक नर्स जुड़ गई हैं। इन्होंने अपने इस कार्य को 'हेल्पिंग हैंड" का नाम दिया है। एक वाट्स ग्रुप बना है। इस ग्रुप में केवल निर्धन मरीजों की जानकारी शेयर की जाती है। ऐसे मरीजों को दवा सहित अन्य सहायता के लिए नर्से ग्रुप में ही जिम्मेदारी लेना तय कर देती हैं। इन नर्सो की सेवा भावना से प्रेरित होकर कई सामाजिक संगठनों वाले भी इन्हें समय-समय पर सहायता देते रहते हैं। 

चार को आश्रय भी दिया

जिन मरीजों का कोई नहीं होता, 'हेल्पिंग हैंड` उनकी सहायता के लिए आगे आता है। इस संगठन के द्वारा अब तक दो बुजुर्ग महिलाओं को मदर टेरेसा आश्रम में और दो पुरुष मरीजों को स्वस्थ होने के बाद संगी मितान सेवा संस्थान में भेजा गया है। अस्त-व्यस्त जीवन और समाज की उपेक्षा सह रहे इन लोगों को अब सम्मान के साथ जीवन जीने का मार्ग इस संगठन के कारण मिल पाया है। 

अभियान सराहनीय है

रजंना ठाकुर व उनकी टीम के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों की सहायता के लिए चलाया जा रहा अभियान सराहनीय हैं। अब तक कई मरीजों की सहायता की जा चुकी है। इनकी पहल को संस्था का भी पूरा साथ मिल रहा है।

शुभ्रा सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, आंबेडकर अस्पताल