पटरी से उतर रही रेल, अफसर डाल रहे पर्दा

 


 रायपुर।  रायपुर और बिलासपुर जोन में मालगाड़ी और रेल इंजन के पहिए लगातार पटरी से उतरने की घटनाओं से रेल अफसर सकते में हैं। अगस्त महीने की शुरुआत में ही पहले लखौली-आरंग स्टेशन के पास फिर हावड़ा-मुंबई मेन रेलवे लाइन पर उरकुरा रेलवे स्टेशन में बिलासपुर से छिंदवाड़ा जा रही मालगाड़ी के पहिए पटरी से उतर गए थे। इसके कारण पांच स्पेशल ट्रेनों को काफी देर तक अलग-अलग स्टेशनों में रोकने के बाद जब पहिए पटरी पर रखे गए, तब मालगाड़ी आगे रवाना हुई। दोनों ही घटनाओं में जनहानि तो नहीं हुई लेकिन बड़ी संख्या में स्लीपर क्रैक हो गए और ट्रैक को क्षति पहुंची थी। बिलासपुर में तो पखवाड़े भर के भीतर रेल इंजन के डिरेल होने की लगातार तीन घटनाएं हो चुकी हैं। जांच का हवाला देकर रेल अधिकारी हादसों पर पर्दा डालने का काम भी बखूबी कर रहे हैं।

आम और खास में यही है फर्क

आम आदमी हमेशा प्रशासन के निशाने पर होता है। नियम तोड़ने पर सबसे पहले उसे ही परेशान किया जाता है और रसूखदार होने के कारण खास पर हर कोई हाथ डालने से कतराता है। अब बिजली विभाग को ही देख लें। एक तरफ जहां आम उपभोक्ता बिजली के बिल का भुगतान दो या तीन महीने नहीं कर पाता तो विभाग का उड़नदस्ता उसे बताए बिना सीधे कनेक्शन काटने से नहीं चूकता।

वहीं, छत्तीसगढ़ के सौ से अधिक रसूखदार बड़े उद्योगपतियों व फैक्टरी मालिकों ने साल 1975 से लेकर 2021 तक का करीब 407 करोड़ 42 लाख 14 हजार रुपये के बकाया बिल का भुगतान 46 साल बीत जाने के बावजूद नहीं किया है। लेकिन मजाल है कि विभाग के जिम्मेदार कनेक्शन काटना तो दूर, उनके घर या फैक्टरी तक भी पहुंच जाएं। यही फर्क आम और खास को लेकर हमेशा से बना हुआ है।

वाह रे कोरिया पुलिस

सूबे के कोरिया जिले में हुए एक घोटाले का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल, साल 2016 में बिलासपुर हाई कोर्ट के एक न्यायमूर्ति बिलासपुर से ट्रेन में सफर कर कोरिया जिले पहुंचे थे। स्टेशन पर पुलिस की तरफ से उपलब्ध कराए गए इनोवा कार से वे रेस्ट हाउस, जिला कोर्ट बैकुंठपुर फिर मनेंद्रगढ़ कोर्ट गए। इसके बाद उसी दिन रात में ट्रेन से बिलासपुर लौट गए। कार ने केवल 125 किलोमीटर की दूरी तय की थी लेकिन अधिकारियों ने 454 किमी के बिल का भुगतान कर दिया। सूचना के अधिकार से जानकारी सामने आने पर सभी चौंक गए। चरचा पुलिस थाने में शिकायत हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट में आपराधिक याचिका पेश होने पर छह महीने के भीतर कार्रवाई का आदेश हुआ पर वह भी नहीं माना गया। अब कोर्ट ने कप्तान और आइजी को नोटिस जारी कर तलब किया है।

कारोबारी नेता ने उठाया दिल्ली का खर्च

छत्तीसगढ़ का सियासी संकट फिलहाल टल गया है। दिल्ली में डटे सारे नेता लौट आए हैं। इन सबके बीच यह चर्चा भी है कि 'दाऊजी" के समर्थन में 15 से अधिक जनप्रतिनिधियों और नेताओं को हवाई जहाज से दिल्ली ले जाने और लाने से लेकर होटल में रुकवाने तक का सारा खर्च एक कारोबारी नेता ने उठाया था। नेताजी दिल्ली में इस मौके की तलाश में भी रहे कि सियासी हवा का रुख बदला तो पाला बदलने से नहीं चूकेंगे। आखिर कारोबार का सवाल जो है। लेकिन दूसरे खेमे से भाव नहीं मिला। दरअसल, कारोबारी का पुराना रिकार्ड दूसरों का माल दबाने का रहा है। लिहाजा सत्ता के करीबी कारोबारी नेता को दूसरे खेमे के लोगों ने झटका दे दिया। अब वापस लौटकर अपना दुखड़ा किसी को बताने से इसलिए बच रहे हैं कि कहीं पोलपट्टी खुल गई तो कारोबार का क्या होगा?