इन दिनों बिलासपुर शहर में भुने भुट्टे की बहार

बिलासपुर। मानसून आते ही शहरवासियों की नजर चौक चौराहे पर एक पुराने से ठेले को खोजती रहती है। उस ठेले से धुआं उठता रहता है और एक आदमी लकड़ी के अंगारों को हवा देता रहता है, क्योंकि वो स्वादिष्ट भुट्टों को भुनने का काम करता रहता है और जैसे-जैसे भुट्टे भुनने लगते हैं, वैसे-वैसे ही भुट्टे की खुश्बू आसपास के माहौल में फैलने लगती है।लोगों को यह ठेला दिख जाता है, वैसे ही वे इसकी ओर खींचे चले आते हैं और आवाज निकलता है कि भैय्या एक भुट्टा मेरे लिए भी भूंज दो। इसके बाद जैसे ही भुट्टे के दाने मुह में पहुंचता है, वैसे ही इसका गजब का स्वाद मन को तृप्त कर देता है। इन दिनों शहर में भुने भुट्टे की बहार है और लोग जमकर इसका स्वाद लेकर मानसून की मस्ती में डूबकर लुत्फ उठा रहे हैं। भुट्टे या मकई की कहानी 1492 में शुरू हुई थी। कोलंबस के निवासियों ने इस नए अनाज की खोज की थी। पहले मकई को सिर्फ बगीचों में उगाया जाता था लेकिन बाद में इसे मुख्य अनाज के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। कुछ ही सालों में यह फ्रांस, इटली, दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में पहचाना जाने लगा। इसके बाद यह धीरे-धीरे दुनिया के और हिस्सों में भी फैला। आज मक्के का सबसे अधिक उत्पादन अमेरिका में होता है। इसके बाद चीन का नाम आता है। मक्के को उगाने वाले देशों में मेक्सिको, इंडोनेशिया, भारत, फ्रांस, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन शामिल हैं। मक्का सेहत का खजाना है। इसे पोषण के हिसाब से बेहतरीन माना जाता है। पकाने के बाद मक्के की पौष्टिकता बढ़ जाती है। अनीमिया की बड़ी वजह विटामिन-बी12 और फोलिक एसिड की कमी होना है। मक्के में दोनों भरपूर मात्रा तो होती ही है साथ ही इसमें आयरन की काफी मात्रा होती है। इसमें कार्बोहाईड्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है, जो ऊर्जा देने में सहायक होता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी आक्सीडेंट्स कैंसर से बचाने में मददगार होते हैं। मक्का उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है जिनका वजन कम होता है। इसमें फाइबर होता है, जिससे कब्ज की परेशानी नहीं होती।