नीट में हुई गड़बड़ी को लेकर अभिभावक-छात्र परेशान


  रायपुर।  देश के मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए हुई नीट परीक्षा विवादों में घिर गई है। परीक्षा में फर्जीवाड़ा होने का आरोप है। देशभर से परीक्षा को रद्द करने की मांग उठ रही है। लेकिन जो छात्र मेहनत के दम पर परीक्षा में अच्छे अंक लाए हैं, वो बहुत परेशान है। अभिभावक भी परीक्षा के रद्द हाेने न होने दोनों से परेशान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल की तैयारी के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये वार्षिक कोचिंग की फीस है। परीक्षा की तैयारी के लिए छात्र-छात्राएं कई वर्षों तक लगातार मेहनत करते हैं। इसके बाद उन्हें सफलता मिलती है। प्रवेश परीक्षा के लिए देश की सबसे बड़ी परीक्षा की मान्यता होने के बावजूद इस तरह की लापरवाही चिंतित करने वाली है। एनटीए की तरफ से पहली बार छात्रों को ग्रेस मार्क दिए गए हैं। ग्रेस मार्क देने के नियमों पर भी सवाल उठ रहे हैं।देशभर के छह परीक्षा केंद्रों के 1,563 छात्राें को ग्रेस मार्क दिए गए हैं, इनमें छत्तीसगढ़ से बलौदा बाजार और दंतेवाड़ा शामिल है। यहां पांच सौ से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी है। 650 अंक लाने के बाद भी छात्रों को सरकारी कालेज में प्रवेश मिलने की गारंटी नहीं है। अन्य वर्षों में 550 अंक पाने वाले छात्रों को भी अंतिम राउंड की काउंसिलिंग तक सरकारी कालेज में प्रवेश मिल जाता था। एलन करियर इंस्टीट्यूट छत्तीसगढ़ के सेंटर हेड कुणाल सिंह ने कहा कि नीट के रिजल्ट में बहुत सारी गड़बड़ियां पाई है। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इससे छात्रों के मनोबल में प्रतिकूल असर पड़ता है। अपनी मेहनत के दम पर 650 अंक लाने वाले छात्रों को भी सरकारी कालेज नहीं मिल पा रहा है। इससे दुर्भाग्यजनक स्थिति क्या हो सकती है। पूरे 720 अंक लाने वाले छात्रों को देश का सर्वश्रेष्ठ मेडिकल इंस्टीट्यूट एम्स दिल्ली में प्रवेश नहीं मिलेगा। तो छात्रों के मन में क्या बितेगी। हमारे देशभर में ब्रांचेस है। हम एनटीए से दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर चुके हैं। अभी बहुत समय नहीं गुजरा है। छात्र फिर से अपनी अच्छी तैयारी करके परीक्षा दे सकते हैं। देश के बहुत सारे कोचिंग इंस्टीट्यूट भी नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग कर चुके हैं। एनटीए की राज्य समन्वयक अधिकारी प्रतिमा राजगौर ने कहा कि अगले सप्ताह तक सब क्लियर हो जाएगा। एनटीए की तरफ जांच कमेटी गठित कर दी गई है। एक ही केंद्र बहुत सारे छात्रों का मेरिट लिस्ट में आना भी संदेहास्पद है। इसकी भी जांच हो रही है।जिन केंद्रों में परीक्षा देरी से शुरू हुई है, वहां के छात्रों को अतिरिक्त समय मिलना चाहिए था। ग्रेस मार्क देना सही नहीं है।