शिवाजी प्रतिमा स्थल का किया जाएगा सौंदर्यीकरण: पुरंदर

 

00 शिवाजी महाराज का 351वें राज्याभिषेक दिवस पर सात नदियों के पानी- दूध से अभिषेक

रायपुर। शिवाजी महाराज एक ऐसे साहसी और संकल्पित योद्धा थे, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में हिंद स्वराज्य के संस्थापक के रूप में कई ऐतिहासिक कार्य किए। 6 जून, 1674 को अपूर्व भव्यता के साथ वह छत्रपति, सर्वोच्च संप्रभु के रूप में सिंहासन पर बैठे। छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिससे इस संप्रभु और शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य की नींव पड़ी। उक्त बातें राजधानी रायपुर के तात्यापारा चौक पर आयोजित शिवाजी महाराज कू 351वें राज्याभिषेक समारोह में बतौर मुख्य वक्ता महाराष्ट्र मंडळ के आजीवन सभासद उदय रावले ने व्यक्त किए।

शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का जीवंत वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी ने एक ऐसे स्वदेशी साम्राज्य की स्थापना की, जिसमें प्रजा का हित संरक्षण सर्वोपरि था। उन्होंने 1646 में आदिल शाही सल्तनत को चुनौती देते हुए तोरण किले पर कब्जा कर लिया। इस साहसिक विजय ने मुगल साम्राज्य और आदिल शाही सल्तनत जैसी दुर्जेय शक्तियों को स्तब्ध कर दिया था। शिवाजी के नेतृत्व में उनकी सेना ने युद्ध में अनूठी रणनीतियों का प्रयोग किया। उनके अपरंपरागत गुरिल्ला युद्ध (गनीमी कावा) की रणनीति और जांबाजी युद्ध के मैदान में उनकी जीत की आधारशिला थी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रायपुर उत्तर क्षेत्र के विधायक पुरंदर मिश्रा ने कहा कि तात्यापारा चौक स्थित वीर शिवाजी प्रतिमा स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए वे नगर निगम के अधिकारियों से चर्चा करेंगे। वहीं शिवाजी महाराज की जयंती 19 फरवरी को शासकीय अवकाश घोषित करने के लिए वे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात करेंगे।

महाराष्ट्र मंडळ के अध्यक्ष अजय काळे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र मंडळ की युवा समिति शिवाजी महाराज की महाआरती हर माह के 19 तारीख को विगत कई वर्षों से कर रही है। इस महाआरती के दिन हम शिवाजी महाराज के जीवन प्रसंगों पर चर्चा भी करते है, ताकि आज की युवा पीढ़ी उनके विचारों और हिंदूत्व की भावना को जान सकें। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महाराष्ट्र मंडल के सचिव चेतन दंडवते ने शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक जिन आठ विशेष मंत्रों से किया गया। उसका उल्लेख करते हुए उसका हिंदी में मतलब भी समझाया। इससे पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का सात नदियों के पानी और दूध से मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक किया गया।

तत्पश्चात मराठी समाज की श्रद्धालु महिलाओं ने 351 दीयों से शिवाजी महाराज की महाआरती की। अभिषेक के दौरान मंच पर प्रसन्न निमोणकर के नेतृत्व में अभय भागवतकर, मेधा पोतदार, श्रद्धा मरघड़े, प्रवीण क्षीरसागर, वैभव बर्वे समेत अनेक लोगों ने शंखनाद किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले रुकमणी रामटेके के नेतृत्व में महिलाओं ने काफी देर तक ढोल बजाकर समारोह को उत्साह और जोश से भर दिया। बाल शिवाजी के भेष में पार्थ शेष ने मंच पर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम का जय घोष कर लोगों का ध्यान खींचा।