कई किलोमिटर का सफर कर ग्रामीण आते हैं आरआई, पटवारी से मिलने, राजस्व निरीक्षक और पटवारी अपने मुख्यालय से नदारद

 

 लखनपुर। राजस्व मामलों की सुनवाई में लगातार व्यवस्था में सुधार होने के बजाय अव्यवस्था हावी है। इसके जिम्मेदार इस पद पर बैठे उच्च अधिकारी भी है जिनके कारण हल्का पटवारी अपने मुख्यालय में निवास तो दूर वहां महीना में चार-पांच बार ही पहुंच पाते है अन्यथा हाउसिंग बोर्ड पर बने कॉलोनी में कार्यालय खोलकर अपना। काम करते है। 40 किमी दूर से ग्रामीणों को राजस्व निरीक्षक व पटवारी से मिलने आते हैं। लखनपुर राजस्व निरीक्षक मंडल के अंतर्गत 10 से 12 हल्का आता है उनके द्वारा लखनपुर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कार्यालय खोलकर संचालित किया जा रहा है। राजस्व निरीक्षक मंडल सलक कुन्नी, लटोरी के राजस्व निरीक्षक के द्वारा भी लखनपुर हाउसिंग बोर्ड में कार्यालय खोलकर संचालन किया जा रहा है। जबकि राजस्व मंडल कुन्नी में स्वत ही नायाब तहसीलदार ऑफिस भी खोला गया है जिसके तहत राजस्व निरीक्षक को कार्यालय खोलकर वहां लोगों की समस्याओं का निराकरण किया जाना है परंतु बिनिया पटकुरा अरगोती लब्जी जैसे दुर्गम क्षेत्र के ग्रामीणों को इस नौतपा की तपती हुई धूप में 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां राजस्व निरीक्षक मंडल कुन्नी कार्यालय हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में संचालित हो रही उसके पास पहुंच रहे हैं। वहीं कुछ ग्रामीण हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पटवारी कार्यालय संचालित है जहां मुख्य रूप से कुछ ग्रामीण जैसे कटकोना के राजकुमार राजवाड़े एवं सहयोगी के द्वारा अपने जमीन फौती नामांतरण के लिए एक महीना से लगातार पटवारी का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अभी तक उनको आए दिन समय दिया जा रहा है। इसी तरीके से आसपास के ग्रामीणों को कई किलोमिटर का सफर कर लखनपुर हाउसिंग बोर्ड कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। लखनपुर राजस्व निरीक्षक संजय सिंह ने संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राजस्व निरीक्षक कार्यालय का भवन जर्जर हो गया है इस कारण से राजस्व निरीक्षक कार्यालय का संचालन हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित आवंटित मकान के कमरे में कार्यालय का संचालन करना पड़ रहा है। राजस्व निरीक्षक कुन्नी आफताब अहमद ने बताया कि कुन्नी मुख्यालय में भवन नहीं होने के कारण कंपोजिट बिल्डिंग में ही चारों मण्डल के राजस्व निरीक्षक कार्यालय का संचालन किया जा रहा है। सीमांकन संहित अन्य कार्यों के लिए मंडल मुख्यालय कुन्नी और गांव में जाकर ग्रामीणों का कार्य किया जाता है।