नवाज होंगे पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम , विदेशी मीडिया का आकलन


 इस्लामाबाद  विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स और थिंक टैंक्स ने अनुमान जताया है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) सुप्रीमो एवं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 2024 के आम चुनाव में चौथी बार देश की बागडोर संभालेंगे। श्री शरीफ के फिर से पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बनने का आकलन करने वाले विदेशी मीडिया आउटलेट्स में वाशिंगटन पोस्ट , ब्लूमबर्ग , सीएनएन , एपी , स्पूतनिक और टेलीग्राफ शामिल हैं। वाशिंगटन पोस्ट लिखता है कि “यह आश्चर्य की बात होगी कि गुरुवार को जब पाकिस्तानी आम चुनाव में हिस्सा लेंगे तो नवाज शरीफ सत्ता में नहीं आ सकेंगे। चौथी बार सत्ता में आने के बाद उनके पास उन आरोपों से खुद को मुक्त करने का मौका होगा जिनके कारण उन्हें 2017 में प्रधानमंत्री पद खोना पड़ा था। प्रधानमंत्री होने के नाते नवाज़ शरीफ़ को पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के अस्थिर समर्थकों का सामना करना पड़ेगा।  अमेरिकी टेलीविजन ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले हफ्ते कराची में पाकिस्तान के व्यापारिक अभिजात वर्ग की सभा में शामिल कई लोगों ने त्रिशंकु संसद और फिर कमजोर गठबंधन सरकार की भविष्यवाणी की थी , हालांकि ज्यादातर लोगों को उम्मीद है कि इसका नेतृत्व शरीफ़ या उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ करेंगे। सीएनएन का कहना है,“ इमरान खान के लंबे समय से दुश्मन रहे नवाज शरीफ ही प्रचार में स्पष्ट रूप से सबसे आगे हैं। अनुभवी शरीफ को हालांकि पहली बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बिलावल भुट्टो जरदारी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जो दिवंगत पूर्व नेता बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं।” समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस( एपी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले अक्टूबर में स्वदेश लौटने के बाद अदालतों द्वारा शरीफ की दोषसिद्धि और जेल की सजा को पलटने के बाद उनके पास चौथे कार्यकाल के लिए स्पष्ट रास्ता है। अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी श्री खान के अब जेल में होने के कारण 2018 के उस चुनाव परिणाम को पलटने का मंच तैयार दिखाई दे रहा है, जब श्री शरीफ कानूनी मामलों से जूझ रहे थे और श्री खान प्रधानमंत्री बने थे।  स्पूतनिक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चुनाव के बाद नये नेता को देश के सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक और बढ़ती आतंकवाद की समस्या से निपटना होगा। ये घरेलू मुद्दे पाकिस्तान की विदेश नीति, विशेषकर उसके पड़ोसियों और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक भागीदारों के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। टेलीग्राफ लिखता है, “पूर्व प्रधानमंत्री करीबी लड़ाई के बजाय ताजपोशी की उम्मीद करते दिख रहे हैं क्योंकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान आपराधिक दोषसिद्धि के मामलों से जूझ रहे हैं।” अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट का कहना है, “भविष्यवाणी यही है कि नवाज शरीफ और उनके पीएमएलएन के सत्ता जीतने की संभावना है। बड़ा आश्चर्य यह भी संभाव्य है कि पीटीआई के लिए यह एक चमत्कार होगा, अगर पीटीआई-संबद्ध निर्दलीय जीत हासिल कर सकें” ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में विदेश नीति फेलो मदीहा अफ़ज़ल के अनुसार अगर श्री शरीफ़ प्रधानमंत्री के रूप में लौटते हैं, तो उन्हें दो चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जिसमें पहला और प्रमुख पहला पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं, विशेषकर बढ़ती मुद्रास्फीति का प्रबंधन करना है। एक अन्य अमेरिकी थिंक टैंक 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' ने कहा कि श्री शरीफ के लिए प्रधानमंत्री बनने और उनकी पार्टी के लिए सशस्त्र बलों के समर्थन के साथ संसद पर नियंत्रण हासिल करने का रास्ता साफ हो गया है। कहा जा सकता है कि शरीफ़ एक ऐसे व्यक्ति हैं जो सेना के प्रति अपने नीतिगत विचारों और दृष्टिकोण में लचीले हैं। पूर्व वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक और किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर टिम विलासी-विल्सी ने कहा कि शरीफ एक अनुभवी हैं और वह हमेशा अमेरिका तथा चीन के बीच बहुत अच्छा संतुलन बनाने में माहिर रहे हैं। वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहेंगे।