रायपुर । छत्तीसगढ़ में किसानों ने अब रागी का राग अलापना बंद कर दिया है। इसका कारण रागी अनाज की खेती से जो लाभ किसानों को मिलना था, वह मिल नहीं पाया। इसके कारण वित्तीय वर्ष 2023-24 में 100 हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में अब तक सिर्फ दो हेक्टेयर रकबे में ही इसकी खेती की जा रही है, जबकि पिछले वर्ष 75 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था। इस लक्ष्य की तुलना में 16 हेक्टेयर में फसलें लगाई गई थीं। इस तरह इस बार रागी की फसल लगाने में किसान भी रुचि नहीं ले रहे हैं। हालांकि रागी का रकबा घटने के दो बड़े कारण हैं, पहला रागी को मार्केट नहीं मिल पा रहा है, वहीं दूसरा इस बार रागी को लेकर फंड ही जारी नहीं किया गया है। इस कारण कृषि विभाग भी किसानों को रागी की खेती के लिए जागरूकता अभियान ही चलाना बंद कर दिया है। जिले के कई किसानों ने धान व अन्य फसलों की जगह रागी की फसल लगाना शुरू किया था, लेकिन इस फसल का मार्केट नहीं होने के कारण किसानों को निराशा हाथ लगी। इससे उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ भी नहीं मिल पाया है। किसान अब रागी की फसल की जगह फिर दूसरी फसलें लगानी शुरू कर दी है। जबकि रागी का किसानों को 3578 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य दिया जाएगा। रागी का उत्पादन बढ़ाने शासन ने किसानों को प्रति एकड़ समर्थन मूल्य के अलावा छह हजार रुपये का अनुदान भी दिए जाने की योजना लाई थी। इस योजना के तहत ज्यादातर रागी की फसलें प्रदर्शनी करने लगाई गई थीं, वहीं स्वयं से फसल लगाने वाले किसानों ने एक एकड़ से बहुत कम रकबा में इसकी खेती की थी। इस तरह स्वयं से फसल लगाने वालों को फसल के अनुसार अनुदान की राशि तो मिली, लेकिन एक एकड़ में फसल नहीं लगाने के कारण समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिला।
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