मध्यस्थता प्रणाली में सुधार की आवश्यकता बतायी धनखड़ ने

 

नयी दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में मध्यस्थता प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि इसे विश्वसनीय और भरोसेमंद बनाया जाना चाहिए । श्री धनखड़ ने यहां छठे आईसीसी भारत मध्यस्थता दिवस का उद्घाटन करते हुए कहा,“  दुनिया में कहीं भी मध्यस्थता प्रणाली पर इतना कड़ा नियंत्रण नहीं है, जितना हमारे देश में है और इस पकड़ से मुक्त कर इसे विश्वसनीय और भरोसेमंद बनाने की जरूरत है। हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था और विकास की तेज गति के लिए हमारी आत्मनिर्भरता के रूप में देश में मजबूत, संरचित मध्यस्थता संस्थानों की आवश्यकता है।” उपराष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ का समर्थन करते हुए कहा कि मध्यस्थों की नियुक्ति में विविधता की कमी है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश हावी हो जाते हैं जबकि अन्य योग्य उम्मीदवारों जैसे वकील और शिक्षाविद को नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने कहा था कि भारत में मध्यस्थता का स्थान " वृद्धजन क्लब" जैसा है। श्री धनखड़ ने कहा, "समय आ गया है जब हमें आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। आवश्यक बदलाव लाकर आगे बढ़ने की जरूरत है।" भारतीय अर्थव्यवस्था के उच्च विकास पथ का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे मामले में, वाणिज्यिक विवाद होना स्वाभाविक है क्योंकि लोगों की किसी विशेष दृष्टिकोण के बारे में अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं। इसलिए हमें एक ऐसी मध्यस्थता प्रणाली की आवश्यकता है जो मजबूत, तेज, वैज्ञानिक, प्रभावी हो और सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क के साथ काम करती हो। श्री धनखड़ ने कहा कि यदि विवाद समाधान तंत्र न्यायसंगत और निर्णायक है, तो विश्व आर्थिक व्यवस्था अधिक ऊंचाइयों पर जाएगी और समान प्रगति होगी। उन्होंने कहा, "हमारे देश में मनमानी करने वाली  संस्थाओं में कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन उन संस्थाओं को केंद्रीय स्थान लेने की जरूरत है और उन सभी को सार्थक बनाने के लिए कानून में आवश्यक बदलाव किए जाने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि मध्यस्थता संस्थानों के विकास के लिए एक गहरी व्यावसायिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए।