भाजपा से चार और कांग्रेस से पांच डाक्टर चुनावी मैदान में

 

 रायपुर। विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों को मिलाकर प्रोफेशनल 11 डाक्टर मैदान में हैं। इनमें कांग्रेस से पांच, भाजपा से चार, आम आदमी पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से एक-एक डाक्टर शामिल हैं। वहीं, वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव को देखें तो 35 डाक्टर (एमबीबीएस, बीएएमएस और पीएचडी) वाले चुनाव मैदान में थे। इनमें कांग्रेस से सात, भाजपा से चार, निर्दलीय आठ, आम आदमी पार्टी से चार व 12 अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के शामिल थे। इनमें 10 डाक्टर विजयी हुए थे और 25 को हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि इसी कारण से इस बार के चुनाव में डाक्टर प्रत्याशियों की संख्या एक तिहाई भी नहीं रह गई है। उन्हें राजनीति के पिच पर 'प्रैक्टिस' के बजाय अपने पेशे से जुड़ी 'प्रैक्टिस' ज्यादा बेहतर लग रही है। हालांकि, कुछ डाक्टर राजनीति के पिच पर अभी भी जमे हुए हैं।  भाजपा ने राजनांदगांव से लगातार तीन बार के विधायक और 15 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे डाक्टर रमन सिंह को चौथी बार मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने डा. शिवकुमार डहरिया को भी चुनावी मैदान में चौथी बार उतारा है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की डा. रेणु जोगी एमएमबीएस, एमएस (नेत्र रोग विशेषज्ञ) हैं। आम आदमी पार्टी की डा उज्जवला कराड़े स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जो बिलासपुर से प्रत्याशी बनीं हैं। ऐसे ही भाजपा की टिकट पर मस्तुरी से डा. कृष्णमूर्ति बांधी, बिलाईगढ़ से डा. दिनेश लाल जांगड़े और सक्ती से डा. खिलावन साहू चुनाव लड़ रहे हैं। महासमुंद से डा रश्मि चंद्राकर, आरंग से शिवकुमार डहरिया, रामानुजगंज से डा. अजय तिर्की, लुंड्रा से डा. प्रीतम राम और मरवाही से डा. केके ध्रुव कांग्रेस के चिह्न पर चुनावी मैदान में ताल ठोका है। प्रदेश के कई ऐसे डाक्टर हैं, जिन्होंने राजनीति में अपनी पहचान बनाते हुए विधानसभा तक का सफर तय किया है। इनमें डाक्टर रमन सिंह, डा. शिवकुमार डहरिया, डा रेणु जोगी, डा प्रीतम राम प्रमुख हैं, जो अभी भी राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं। डा. रमन सिंह गरीबों के डाक्टर और चाउंर वाले बाबा के नाम से मशहूर हैं। विधायक कृष्णमूर्ति बांधी सबसे पहले वर्ष-2003 में विधायक बने थे। जिसके बाद 2008 एवं 2018 में विधायक बने। चौथी बार जीतने के लिए प्रयासरत हैं। यह स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सरगुजा संभाग की प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आए डा प्रेमसाय सिंह को भूपेश कैबिनेट में मंत्री का पद मिला था। डा प्रेमसाय सिंह राजनीति में आने से पहले सरकारी डाक्टर के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने आयुर्वेदिक डाक्टर की डिग्री ली है। राज्य गठन के बाद अजीत जोगी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस की सरकार में भी वे मंत्री पद पर थे। हालांकि, इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाया है। रैंगिग के चलते मेडिकल कालेज छोड़ कर वापस आने वाले विनय जायसवाल ने पिता की समझाइश पर वापस जाकर डाक्टरी की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान छात्र राजनीति की शुरुवात कर पढ़ाई पूरी होने पर चिकित्सा सेवा करते हुए कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में भूमिका निभा कर वर्ष-2018 विधानसभा चुनाव में मनेंद्रगढ़ से पहली बार विधायक चुने गए। चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राज्य धनवंतरी अवार्ड प्राइम टाइम अवार्ड एवं उत्कृष्ट आई हास्पिटल अवार्ड ले चुके डा विनय जायसवाल को इस बार टिकट से वंचित होना पड़ा है। लुंड्रा विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी डा प्रीतम राम के परिवार से वर्ष-1967 से लेकर अब तक इनके परिवार के तीन लोग छह बार विधायक बन चुके हैं। सातवीं बार की तैयारी है। डा प्रीतम राम प्रदेश में कहीं भी आपरेशन करने चले जाते हैं। दवाइयों का एक बाक्स हमेशा इनके साथ रहता है। डा. रेणु जोगी, डा उज्जवला कराड़े, डा. कृष्णमूर्ति बांधी, डा. दिनेश लाल जांगड़े, डा. खिलावन साहू, डा. अजय तिर्की, डा. प्रीतम राम, डा. केके ध्रुव एमबीबीएस हैं, तो डा. रमन सिंह, डा. शिव डहरिया, डा रश्मि चंद्राकर बीएएमएस डाक्टर हैं। पीएचडी वाले विधायकों में डा. चरणदास महंत, डा. रश्मि आशीष सिंह और डा. लक्ष्मी ध्रुव के नाम शामिल हैं।