भाजपा पार्षद के भाई दुर्गेश जायसवाल के बैंक खाते से 13 घंटे के भीतर शातिरों ने 3.39 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए

 

रायपुर । आनलाइन सट्टा एप में पैसे का ट्रांसफर कराने वाले गिरोह से जुड़े लोग काफी शातिर निकले। ये अपने परिचितों का बैंकों में खाता खुलवाकर खुद पासबुक रख लेते थे और उससे फिर पैसा ट्रांसफर करके रकम ठिकाने लगाते थे। पुलिस ने बैंक खाते की पड़ताल की तो साफ हुआ कि भाजपा पार्षद के भाई दुर्गेश जायसवाल के बैंक खाते से 13 घंटे के भीतर शातिरों ने 3.39 करोड़ रुपये 15 सौ ट्रांजेक्शन के जरिए ट्रांसफर किए थे। पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों के बारे में मुख्य आरोपित देवेश सिंह चौहान से जानकारी ले रही है। आजाद चौक पुलिस के हत्थे चढ़े देवेश सिंह चौहान समेत उसके गुर्गे ऐसे लोगों को शिकार बनाते थे, जो आसानी से उनके झांसे में आ जाएं। पड़ताल में देवेश चौहान के लिंक सीधे महादेव एप के संचालक सौरभ चंद्राकर से जुड़े निकले हैं। वह सौरभ कहने पर ही देवेश छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों के लोगों को झांसे में लेकर उनके नाम पर बैंक खाता खुलवाकर उसका इस्तेमाल खुद सट्टेबाजी के लाखों रुपयों को इधर से उधर करने में करता था।   एडिशनल एसपी पश्चिम जयप्रकाश बढ़ई ने बताया कि आमापारा निवासी दुर्गेश जायसवाल जैसे कई लोग देवेश चौहान के झांसे में फंस चुके हैं। धोखाधड़ी के शिकार दुर्गेश जायसवाल शहीद चूड़ामणि नायक वार्ड क्रमांक 38 के भाजपा पार्षद दीपक जायसवाल का भाई है। दरअसल दुर्गेश सीसीटीवी कैमरा और उससे संबंधित व्यवसाय करता है। उसकी मोमेंटस फोटोग्राफी फर्म भी है। अगस्त में देवेश से परिचय होने पर उसने बताया था कि वह सरकारी कार्यालयों में टेंडर लेकर सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ शेयर से संबंधित ब्रोकर का भी काम करता है। इससे अच्छी कमाई हो जाती है, परंतु उसके पास कोई भी प्राइवेट प्रोपराइटर फर्म नहीं होने से काम कम मिल रहा है। देवेश ने यह भी बताया कि उसका पुराना लोन का बकाया होने के कारण बैंक में उसका सीआर रिकार्ड सही नहीं है, यही कारण है कि उसे फर्म से संबंधित दस्तावेज प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। कुछ दिन बाद देवेश से मिलने दुर्गेश उसके कार्यालय गया तो उसने अपने साथ व्यापार करने का प्रस्ताव देते हुए उसकी फर्म का इस्तेमाल शेयर बाजार और कैमरा लगाने के टेंडर में करने के एवज में दस प्रतिशत मुनाफा देने का झांसा दिया। मुनाफा पाने के चक्कर में दुर्गेश तैयार हो गया। पीड़ित ने बताया कि देवेश सिंह के कहने पर सात अगस्त, 2023 को यश बैंक लिमिटेड सिविल लाइन शाखा में जाकर उसने एक चालू खाता अपने फर्म मेसर्स मोमेंटस फोटोग्राफी के नाम से खुलवाकर 20 हजार रुपये जमा किए। इसमें पांच हजार देवेश ने दिया था। दूसरे दिन इस खाते में किसी इमरान नामक व्यक्ति से देवेश ने 25 हजार रुपये आइएमपीएस के माध्यम से भेजकर खाते को पर्याप्त बैलेंस उपलब्ध करवाया। इसके बाद दुर्गेश द्वारा जमा कराए गए 20 हजार रुपये को देवेश ने उसके बैंक आफ बड़ौदा के सुंदर नगर बचत खाते में आइएमपीएस के माध्यम से जमा करवा दिया। दोनों के बीच व्यापार का इकरारनामा भी हुआ। इसके बाद देवेश ने दुर्गेश के फर्म के नाम से गुमस्ता लाइसेंस, उद्यमी लाइसेंस और यश बैंक के खाते का डेबिट कार्ड, चेक बुक हासिल कर लिया। यही नहीं, चालू खाते से संबंधित मोबाइल नंबर का सिम खुद रख लिए। दुर्गेश ने पुलिस को बताया कि 26 अगस्त को जब उसके मोबाइल पर यश बैंक के खाते से ढेरों बेनामी पैसे के लेन-देन का मैसेज आया तो होश उड़ गए। ई-मेल चेक करने पर भी ऐसे कई मैसेज दिखे। दुर्गेश ने तत्काल बैंक के कस्टमर केयर में फोन लगाकर चालू खाते को डेबिट फ्रिज करवाया। फिर बैंक जाकर फर्म के चालू खाते की पूरी जानकारी निकाली। खाते से पैसे के लेन-देन बारे में देवेश से पूछताछ करने पर वह टालमटोल करने लगा। यही नहीं, 10 प्रतिशत मुनाफा देने से साफ इन्कार कर दिया, तब पीड़ित कारोबारी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। एसएसपी प्रशांत अग्रवाल के निर्देश पर पुलिस और साइबर यूनिट की टीम ने पड़ताल कर सबसे पहले देवेश चौहान को दबोचा। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि महादेव एप सट्टेबाजी गिरोह से वह लंबे समय से सीधे जुड़ा हुआ है। सट्टे का पैसा लेन-देन करने के लिए उसने कई लोगों के नाम पर बैंक खाता खुलवाने और उसका इस्तेमाल खुद करना बताया। पुलिस ने देवेश सिंह चौहान की निशानदेही पर उसके गुर्गे शैलेंद्र सिंग, सियोन पाल, रामकृपाल साहू, हरीश वर्मा और कौशल प्रसाद लहरे को अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार कर रविवार को रायपुर लाया गया।