छत्तीसगढ़ में मानसून की अनियमितता से बस्‍तर में बाढ़


 रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून की अनियमितता के कारण सरगुजा में सूखे की आहट है। यहां लखनपुर को छोड़कर बाकी सात तहसीलों में 50 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। जबकि अन्य जिलों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। यहां सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ की नौबत आ चुकी है। मौसम विभाग और राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सरगुजा संभाग में सूखे की स्थिति बनी हुई है। यहां औसत बारिश से 60 प्रतिशत कम बारिश हुई है। वहीं बस्तर संभाग के बीजापुर में बाढ़ की स्थिति है। तेलंगाना की सीमा से लगा उसूर ब्लाक के धर्मारम गांव में 25 मकान पानी में डूब गए है। ग्रामीण गांव के पटेलपारा में शरण लिए हुए हैं। तेलंगाना के समक्का सागर बैराज के 59 गेट खोलने से गुरुवार को बाढ़ का पानी घुसा और अब चार दिन बाद भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। गेट खोलने से इंद्रावती नदी में गोदावरी नदी के बैक वाटर से बाढ़ आ गई। इंद्रावती की सहायक नदी चिंतावागु, तालपेरु में भी जलस्तर बढ़ गया। नदियों से घिरे धर्मारम में इसका सबसे अधिक असर देखा गया है। पंचायत के सचिव केजी राजकुमार ने बताया कि सरपंच पारा व पुजारीपारा में 25 मकानों को क्षति हुई है। धर्मारम में 164 मकान व जनसंख्या 557 है। इस गांव में अब तक प्रशासन की राहत टीम भी नहीं पहुंच सकी है। उसूर तहसीलदार फानेशवर सोम ने बताया कि उनके पास भी वीडियो व फोटोग्राफ के माध्यम से धर्मारम गांव के दो दर्जन घरों के डूबने की जानकारी मिली है। प्रदेश के सरगुजा की आठ तहसीलें सूखे की चपेट में हैं। इनमें अंबिकापुर में 35.2, लुन्ड्रा में 27.8, सीतापुर में 61.0, लखनपुर में 50.7, उदयपुर में 43.0, बतौली में 44.3, मैनपाट में 46.2, दरिमा में 27.0 प्रतिशत ही बारिश हुई है। छत्तीसगढ़ के कृषि मौसम विज्ञानी डा. जीके दास ने कहा, हर वर्ष सरगुजा इलाके में यह स्थिति बनती है। अभी परेशान होने की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में बारिश यहां भी कवर हो जाएगी।