मुंबई:
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि शिवसेना
(उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत द्वारा कथित रूप से
‘‘विधिमंडल’’ के संदर्भ में ‘‘चोरमंडल’’ शब्द का इस्तेमाल करना ‘‘गंभीर’’
बात है और वह मामले में जांच करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यसभा सदस्य
के बयान को लेकर जारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए
स्थगित कर दी। नार्वेकर ने कहा कि उन्होंने राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन
का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है और वह आठ मार्च को अपना फैसला सुनाएंगे।
इससे पहले दिन में कोल्हापुर में राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कथित तौर
पर ‘‘विधिमंडल’’ (विधायिका) को ‘‘चोरमंडल’’ कहा था, जिसे लेकर विधानसभा
में हंगामा हुआ। नार्वेकर ने कहा कि मुद्दा बेहद गंभीर है और यह विधायिका,
इसके सदस्यों तथा राज्य के लोगों का अपमान है। उन्होंने कहा कि इस मामले
में विस्तृत जांच की आवश्यकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राउत की
टिप्पणी से ‘‘सदन एवं उसके सदस्यों की गरिमा, शुचिता और संप्रभुता’’ को ठेस
पहुंची है। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी रक्षा करना मेरा संवैधानिक दायित्व है।’’
विधानसभा के निचले सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, भारतीय जनता पार्टी
(भाजपा) के नेता आशीष शेलार ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘विधायकों
को चोर कहा जा रहा है और यह राज्य का अपमान है।’’ भारतीय जनता पार्टी
(भाजपा) के एक अन्य विधायक अतुल भातखल्कर ने कहा कि उन्होंने राउत के खिलाफ
विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष राहुल
नार्वेकर से इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है। विपक्ष के नेता अजित पवार
और कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट ने भी कहा कि इस तरह की
टिप्पणी अस्वीकार्य है। पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और
कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) के सहयोगी हैं। थोराट ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किए
जाने की आवश्यकता है कि वास्तव में उन्होंने (राउत ने) क्या कहा। वहीं, सदन
में किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, इस बारे में सभी को
सावधान रहना चाहिए। हमें ‘राष्ट्र-विरोधी’ तक कहा गया है।’’ एकनाथ शिंदे के
नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायक इस बात पर जोर दे रहे थे कि विशेषाधिकार
हनन नोटिस को स्वीकार किया जाना चाहिए। राउत की कथित टिप्प्णी को लेकर
हंगामे के कारण निचले सदन को चार बार – पहले अध्यक्ष नार्वेकर द्वारा 10
मिनट के लिए, उसके बाद पीठासीन अधिकारी योगेश सागर द्वारा 20 मिनट और 30
मिनट तथा बाद में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिन भर के लिए स्थगित कर दिया
गया।
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