छत्तीसगढ़ में भी बनेगा अयोध्या जैसा श्रीराम मंदिर

 

 जगदलपुर।  रामायण काल का दंडकारण्य, जहां भगवान श्रीराम ने वनवास के 14 में से 10 वर्ष बिताए थे, जो अब बस्तर के नाम से जाना जाता है। रामायण में दक्षिण कोशल का अंग रहे इस बस्तर के सैकड़ों गांवों में आदिवासी मतांतरित होकर अपने रीति-रिवाज, संस्कृति से विमुख हो चुके हैं। आदिवासी और मतांतरित एक-दूसरे के विरुद्ध कुल्हाड़ी, डंडे लिए खड़े हैं। इससे गांव दो फाड़ में बंट गए हैं। ग्राम सभाओं में आदिवासी खुद के लिए मूलधर्म कोड की मांग करते हुए खुद को अन्य धर्म से अलग बता रहे हैं। आदिवासियों में एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो खुद को सनातनी हिंदू मानता है। इन्होंने अब मतांतरितों को वापस अपने मूलधर्म और संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से दो दिन पहले बस्तर जिले के दस से अधिक गांव के ग्रामीणों ने घाटलोहंगा में श्रीराम मंदिर की नींव की पहली ईंट रखी है।