दुर्गा सप्तशती के पाठ से चमक उठेगा भाग्य, जानिए क्या हैं इसके नियम

 

दुर्गा सप्तशती के हर अध्याय का खास महत्व है। इसका पाठ कल्याणकारी कवच की तरह है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ फलदायी और कल्याणकारी माना जाता है। दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा की महिषासुर राक्षस के वध का वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती का महत्व और इसके पाठ करने के क्या लाभ है।

दुर्गा सप्तशती क्या है?

दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा की आराधना के लिए मंत्रों, स्तोत्रों और साधना विधि का उल्लेख है। मार्केंडेय ऋषि ने इसकी रचना की है। इसका हर श्लोक महामंत्र है। दुर्गा सप्तशती बिना नियमों की जानकारी के कभी नहीं पढ़ना चाहिए। इसमें 13 अध्याय हैं और 700 श्योक है। ये श्लोक तीन भागों में बांटे गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सिद्धियां पाई जा सकती हैं।

दुर्गा सप्तशती मंत्र जाप नियम

सबसे पहले अपनी इच्छानुसार मंत्र का चुनाव करें। रोज तीन माला मंत्र जाप करें। सप्तशती के पाठ के पहले उत्कीलन मंत्र का जाप अवश्य करें। उसके बाद कवच, अर्गला और कीलक का पाठ कर सकते हैं। लाल कपड़े धारण करके इसके पाठ करें। मंत्र जाप लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।

कैसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ?

दुर्गा सप्तशती का पाठि नवरात्रि में करना सर्वोत्तम माना गया है। माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें पुष्प अर्पित करें। इसके बाद सप्तशती का पाठ करें।

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