प्रदेश में हजार में से तीन सौ नवजातों के फेफड़े अविकसित, जान बचाने दवा नहीं

 

रायपुर । प्रदेश में प्रति हजार में से तीन सौ बच्चों की प्रिमेच्योर डिलवरी होती है। ऐसे बच्चों के फेफड़े अविकसित होते हैं। इस अवस्था को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। दुर्भाग्य से ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए जिस सरफेक्टेंट दवा की जरूरत पड़ती है, वह किसी भी शासकीय अस्पताल या मेडिकल कालेज अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। राज्य के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में पिछले छह माह से सरफेक्टेंट दवा नहीं है। यहां हर माह में 150 से अधिक ऐसे बीमार नवजात आते हैं। इनके लिए माह में दवा की पांच सौ से अधिक वायल की जरूरत पड़ती है। इस दवा की कीमत 12 से 15 हजार रुपये प्रति वायल है।  सरकारी मेडिकल कालेजों व अस्पतालों में दवा उपलब्ध न होने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) के अनुसार छह माह पूर्व छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन (सीजीएमएससी) को दवा के लिए मांग भेजी गई है, लेकिन अब तक दवा नहीं मिली है।