चार साल में नहीं हो पाई अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्त शिक्षा आयोग में

 

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गठित राज्य शिक्षा आयोग का डब्बा गोल हो गया है। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के चार साल बाद भी आयोग के लिए न पूर्णकालिक अध्यक्ष और न ही सदस्यों की नियुक्ति हो पाई है। यूं कहें कि यह आयोग सफेद हाथी बनकर रह गया है। केवल सचिव और दो बाबुओं के जरिए आयोग को नाममात्र के लिए संचालित किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों की वेतन विसंगति, पदोन्न्ति, स्थानांतरण शिक्षकों की प्रमुख मांगों व समस्याओं, शिक्षा और शैक्षणिक प्रबंधन से संबंधित नवाचार और स्कूलों में फीस संरचना आदि के विवाद को सुलझाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं रह गई है। शिक्षक संगठनों ने राज्य सरकार से शिक्षा आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करने की मांग की है। नियमानुसार यहां अध्यक्ष व सचिव के अलावा दो अशासकीय क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षाविदों को बतौर सदस्य नियुक्ति किया जाना है। आयोग में एक स्थायी कार्यकारिणी समिति का भी गठन करना है, जिसमें आदिम जाति विभाग, पंचायत विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी पदेन अधिकारी होते हैं। हालांकि विभाग में पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं होने पर विभागीय मंत्री पदेन अध्यक्ष होते हैं पर यह व्यवस्था तब तक के लिए होती है जब तक अध्यक्ष की नियुक्ति न हो जाए। प्रदेश में छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम व अन्य आयोगों में भी यही व्यवस्था है। अध्यक्ष की जब तक नियुक्ति नहीं होती है तब तक विभागीय मंत्री ही कामकाज चलाते हैं।