खरीफ सीजन की शुरुआत में ही रासायनिक उर्वरक के संकट की आहट

 


रायपुर । मानसून के समय पर पहुंचने की खबर के साथ ही छत्‍तीसगढ़ में खेती के काम में तेजी आ गई है। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरक नहीं मिलने की भी शिकायतें आने लगी हैं। वजह यह है कि राज्य में यूरिया की उपलब्धता लक्ष्य के विरुद्ध 62 प्रतिशत है। राज्य में नाइट्रोजन-फास्फोरस-पोटेशियम (एनपीके) 30 प्रतिशत, डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) 39 और पोटाश की उपलब्धता 35 प्रतिशत है। केंद्र से उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के आरोप के साथ इसे लेकर राजनीति गरमाने लगी है। इस बीच कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि राज्य में रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जा रहा है। विभाग ने किसानों से जरूरत अनुसार सहकारी समितियों से उर्वरकों का उठाव करने की अपील की है।

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि खरीफ 2022 के लिए कुल 13.70 लाख टन उर्वरक देने की सहमति केंद्र सरकार ने दी है। इसमें से यूरिया 6.50 लाख टन, डीएपी तीन लाख टन, पोटाश 80 हजार टन, एनपीके 1.10 लाख टन व सुपरफास्फेट 2.30 लाख टन शामिल है। माह अप्रैल और मई में राज्य को यूरिया की कुल आपूर्ति 3.29 लाख टन होनी थी, लेकिन केवल 2.20 लाख टन ही मिला है। केंद्र से समय पर उर्वरक न मिलने पर इनकी कमी हो सकती है। यूरिया के अतिरिक्त अन्य सभी उर्वरक अधिकांशत: आयातित सामग्री पर आधारित हैं, इसलिए राज्य में पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराने का दायित्व केंद्र सरकार का है।