बिलासपुर में वन नेशन वन कार्ड का नहीं मिल पा रहा लाभ

 

 बिलासपुर। केंद्र सरकार ने वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को देशभर में लागू कर दिया है। इसके लिए सभी राशन दुकान संंचालकों को पास मशीन दी गई है। इसके जरिए ही प्रधानमंत्री अन्न् योजना के तहत बीपीएल राशन कार्डधारक प्रति व्यक्ति को हर माह निश्शुल्क पांच किलो चावल देने की योजना है। लेकिन, पास मशीन में योजना का लिंक नहीं हो पाने के कारण कार्डधारकों को किसी अन्य राशन दुकान से चावल नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते जिले के तीन लाख 90 हजार 843 कार्डधारक इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। 

पास मशीन में राशन कार्डधारकों के नाम और आधार नंबर को लिंक किया गया है। इसी के आधार पर दुकानदार कार्डधारकों को खाद्यान्न् का आवंटन हर महीने कर रहे हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री अन्न् योजना को पास मशीन में अपडेट नहीं किए जाने के कारण इसका चावल किसी अन्य राशन दुकान से हितग्राहियों को नहीं मिल रहा है। योजना के तहत चावल के लिए हितग्राहियों को उसी राशन दुकान में जाना पड़ रहा है जहां उनका नाम पहले से पंजीकृत है। कोरोना संक्रमणकाल की पहली लहर के दौरान केंद्र सरकार ने बीपीएल राशन कार्डधारकों को प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम चावल फ्री में देने की घोषणा करते हुए इसे लागू कर दिया था। योजना के तहत दिए जाने वाले चावल का अतिरिक्त कोटा नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा तय किया गया और हर महीने राशन दुकानदारों को बीपीएल कार्डधारकों की संख्या के अनुसार प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम के हिसाब से चावल की आपूर्ति की जा रही है।

ऐसे काम करती है पास मशीन

पास मशीन के दाहिने ओर अंगूठा लगाने का निशान बना हुआ है। जैसे ही राशन कार्डधारी अंगूठा रखते हैं उसके तत्काल बाद पास मशीन के स्क्रीन पर कार्डधारक महिला मुखिया का फोटो सहित नाम आ जाता है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों का नाम भी दिखने लगता है। कार्डधारकों की संख्या और योजना के अनुसार खाद्यान्न् की मात्रा स्क्रीन पर दिखने लगती है। इसी के आधार पर दुकानदार कार्डधारकों को खाद्यान्न् की आपूर्ति करते हैं। पास मशीन के स्क्रीन पर पीएम अन्न् योजना के तहत मिलने वाले पांच किलोग्राम चावल का आंकड़ा नहीं आता है। कलेक्टर डा सारांश मित्तर का कहना है कि पास मशीन में पीएम अन्न् योजना के तहत मिलने वाले चावल का आंकड़ा फीड नहीं किया गया है। इसके लिए कार्डधारकों को उसी दुकान से चावल लेना पड़ता है जहां उनका नाम पंजीकृत है।