एक जुलाई को निकाली जाने वाली रथयात्रा की तैयारी राजधानी में जोर-शोर से

 

रायपुर। भगवान जगन्नााथ ही एक मात्र ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर से बाहर निकलकर रथ पर भ्रमण करते हैंं। कोरोना काल में दो साल तक रथयात्रा उत्सव मंदिर परिसर के भीतर ही मनाया गया। इस साल एक जुलाई को निकाली जाने वाली रथयात्रा की तैयारी राजधानी में जोर-शोर से चल रही है। विभिन्न् मुहल्लों के 10 मंदिरों में रथ की मरम्मत और रंगरोगन का कार्य किया जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रथयात्रा पुरानी बस्ती, टुरी हटरी स्थित जगन्नााथ मंदिर से निकलेगी। 500 साल से अधिक पुराने मंदिर की यात्रा प्रदेश भर में प्रसिद्ध है।

रथ की रस्सी को छूने की होड़

पुरानी बस्ती से निकलने वाली रथयात्रा में भगवान जगन्नााथ और भैया बलदेव के मध्य में बहन सुभद्रा को विराजित किया जाता है। महंत रामसुंदर दास के सान्निाध्य में पूजा-अर्चना के पश्चात रथ को मंदिर के सेवादार जब मंदिर की संकरी गली से बाहर मुख्य मार्ग पर लाते हैं। यहां से रथ को खींचने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लग जाती है। श्रद्धालुओं की एक ही चाहत होती है कि रथ की रस्सी को छू सकें। रथयात्रा लोहार चौक, पुरानी बस्ती थाना, कंकाली तालाब, आजाद चौक, आमापारा से होकर जब लाखेनगर स्थित गुंडिचा मंदिर पहुंचती है तो चना, मूंग का प्रसाद ग्रहण करने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।