रमजान के महीने में रोजेदार इन बातों का रखें ख्याल


 

रायपुर : गर्मी के मौसम में जब तापमान 44 डिग्री से अधिक हो तो मधुमेह के पीड़ितों को रमजान के दौरान अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी का रक्तशर्करा का स्तर अचानक बढ़ता या घटता हो तो डाक्टर से सलाह लेकर ही रोजा (उपवास) रखना चाहिए। दिनभर भूखे रहने से रक्तशर्करा का स्तर एकदम कम हो सकता है, जिससे हाइवो ग्लाइसिमिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साथ ही रोजा इफ्तार करते समय अधिक आहार लेने पर भी हाइपर ग्लायसिमिया की स्थिति बन सकती है। ऐसी स्थिति में इफ्तारी के वक्त एन्टीआक्सीडेन्ट युक्त द्रव और खजूर का सेवन करना उचित है। सादे चावल के बदले ब्राउन राइस, रोटी-सब्जी के साथ मेवा खाना चाहिए। मांसाहार प्रोटीनयुक्त होता है, पर अत्याधिक मसाले के उपयोग से बचें। शरीक को हाइड्रेड रखे। उक्त रक्तचाप के मरीज भी डाक्टर से सलाह लेकर ही रोजा रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दे। कम शक्कर युक्त पेय पदार्थ का सेवन करें। 

फलों और सब्जियों का प्रचूर मात्रा में सेवन करें ताकि शरीर में सोडियम पोटेशियम का स्तर नियंत्रित रहे। अधिक मिर्च-मसाले से बचें। चाय-काफी के अलावा रेड मीट का सीमित सेवन करें। यह बातें प्रोफेसर आफ होम साइंस शासकीय डीबीपीजी गर्ल्स कालेज की डा. अभ्या आर. जोग्लेकर ने नईदुनिया से साझा किया।

सिर्फ रोजे रखना काफी नहीं झूठ और बुराई से बचना भी जरूरी

रमजान का महीना बेशक अल्लाह ने अपने बंदों को इनाम के रूप में दिया है। इसी रमजान के महीने में कुरान अवतरित (नाज़िल) हुआ था। साथ ही इस पाक महीने में बंदों की एक नेकी के बदले कई गुना सवाब (पुण्य) मिलता है। इसके अलावा इस महीने में शैतान को कैद कर लिया जाता है। जहन्‍नम (नर्क) के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्‍नत (स्वर्ग) के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। हर मोमिन के लिए रोजा रखना फर्ज है। लेकिन इतना काफी नहीं रोजे रखने के साथ ही झूठ और बुराइयों से बचना भी जरूरी है।