जमीन वापस पाने राजस्व न्यायालयों में 60 साल लड़ा मुकदमा, हाई कोर्ट से मिली राहत

 


बिलासपुर। सरकारी दस्तावेजों में निजी जमीन को चारागाह के रूप में दर्ज करने का खामियाजा एक परिवार को 60 साल तक भुगतना पड़ा। अपने कब्जे की 9.89 एकड़ जमीन को वापस हासिल करने में 60 साल लग गए। इस बीच भूमि स्वामी ने पटवारी से लेकर राजस्व मंडल तक गुहार लगाई। सभी ने उनकी गुहार को सिरे से खारिज कर दिया। न्याय की आस में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आरसीएस सामंत ने राजस्व मंडल के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के भूमि हक को सुरक्षित करने का आदेश दिया है।

60 साल बाद ही सही जमीन का मालिकाना याचिकाकर्ता को मिल गया है। मामला रायपुर के सदर बाजार का है। मोहम्मद अमन ने अपने वकील के जरिये हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनके पिता शेख असलम ने 15 अप्रैल 1947 को कोटा में खसरा नंबर 19/1 और 159/1 की 9.89 एकड़ कृषि भूमि खरीदने के लिए अनुबंध किया था। अनुबंध के बाद तीन फरवरी 1950 को जमीन की बिक्री अपने नाम से करा लिया था।