मेनोपॉज की जल्दी शुरुआत कहीं बढ़ा तो नहीं डिमेंशिया का खतरा, जानें क्या है विशेषज्ञों की राय

 


International Women's Day: मेनोपॉज़ का जल्दी शुरु होना डिमेंशिया के जोखिम को अधिक बढ़ा सकता है। विशेषज्ञ कम उम्र में डिमेंशिया की शुरुआत को मेनोपॉज़ से जोड़कर देखते हैं। हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन महिलाओं को 40-45 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज हो जाता है, उनमें किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया की संभावना 35 प्रतिशत तक बनी रहती है। 

कम उम्र में शुरु होने वाले मेनोपॉज और डिमेंशिया का कारण-
दरअसल, शरीर में घटते एस्ट्रोजन के स्‍तर का सीधा संबंध कम उम्र में शुरु होने वाले मेनोपॉज और डिमेंशिया से होता है। एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है जो ब्रेन की एजिंग बढ़ाता है। एस्ट्रोजन ब्रेन में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसका सीधा मतलब है कि एस्ट्रोजन के स्‍तर में कमी आने से ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है, जिसकी वजह से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। 

इसके अलावा शरीर में एस्ट्रोजन का उच्च स्तर आपके शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। जिससे आपका इंसुलिन रसिस्‍टेंस और ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और वजन बढ़ने लगता है।

महिलाओं और पुरुषों में डिमेंशिया का जोखिम-
महिलाओं और पुरुषों में डिमेंशिया का जोखिम उम्र के अनुसार अलग-अलग समय पर होता है। महिलाओं में यह जोखिम मेनोपॉज के बाद बढ़ता है। महिलाओं को होने वाली ‘ब्रेन फॉग’ की शिकायत डिमेंशिया के मंडराते खतरे की ओर इशारा है। जिसमें कम उम्र में ही महिलाओं में एकाग्रता में कमी, दिमागी सुस्‍ती, भुलक्‍कड़पन आदि जैसे लक्षण भी डिमेंशिया के जल्‍द शुरू होने की ओर संकेत करते हैं।
इलाज करने वाले फिजिशियन या गायनेकोलॉजिस्ट को इन लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को खुद में ये लक्षण दिखते ही तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि समय पर इसका इलाज किया जा सके। 
 
कुछ अध्‍ययनों से यह भी पता चला है कि एचआरटी के रूप में एस्ट्रोजन मस्तिष्‍क के लिए सुरक्षा कवच का काम कर सकता है, बशर्ते यह मेनोपॉज के शुरुआती चरणों में, पहले या अर्ली पोस्‍ट-मेनोपॉज वर्षों में दिया जाए।
 सलाह-
डॉ राका गुलेरिया, एसोसिएट डायरेक्‍टर(ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एवं गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस ला फेम, ग्रेटर कैलाश) महिलाओं को मानसिक रूप से सक्रिय और सचेत रहने के लिए ध्‍यान (मेडिटेशन) करना चाहिए। इसके अलावा, दिमाग तेज करने वाले गेम्‍स खेलने चाहिए। इन खेलों में सुडोकु और क्रॉसवर्ड पजल तथा वर्ल्ड गेम आदि शामिल हैं, जो दिमाग को सक्रिय रखने में मदद करते हैं। महिलाओ को वार्तालाप और बातचीत के सत्रों से जोड़ने पर भी वे कनेक्ट और मानसिक रूप से सक्रिय बनी रहती हैं।