जानें किस दिन होगी किस देवी की पूजा

 


नई दिल्ली प्रत्येक साल चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीनों में चार बार नवरात्र आते हैं ,लेकिन चैत्र और आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक चलने वाले नवरात्र ही ज्यादा लोकप्रिय हैं जिन्हें पूरे देश में व्यापक स्तर पर मां भगवती की आराधना के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। धर्म ग्रंथों, पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रों का समय बहुत ही भाग्यशाली बताया गया है। इसका एक कारण यह भी है कि प्रकृति में इस समय हर और नये जीवन का, एक नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है। जनमानस में भी एक नई उर्जा का संचार हो रहा होता है। लहलहाती फसलों से उम्मीदें जुड़ी होती हैं। सूर्य अपने उत्तरायण की गति में होते है ।ऐसे समय में मां भगवती की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करना बहुत शुभ माना गया है। क्योंकि बसंत ऋतु अपने चरम पर होती है इसलिये इन्हें वासन्तिक नवरात्र भी कहा जाता है। 
नवरात्र के समय जहां मां के नौ रुपों की पूजा की जाती है वहीं चैत्र नवरात्र के दौरान मां की पूजा के साथ-साथ अपने-अपने कुल देवी-देवताओं की भी पूजा अर्चना की जाती है जिससे ये नवरात्र विशेष हो जाता है। 

माता के नौ रुप*:- 
★नवरात्रि के पहले दिन माता के पहले रूप माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है | 
★नवरात्र के दूसरे दिन माता दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है | 
★नवरात्र के तीसरे दिन माता के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। 
★नवरात्र के चौथे दिन माता के चतुर्थ स्वरूप माँ कूष्माण्डा की पूजा अर्चना की जाती है। 
★नवरात्रि में पांचवें दिन माता के पंचम स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। 
★नवरात्रि के छठे दिन माता के छठवें स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है | 
★नवरात्र के सातवें दिन माता के सप्तम स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है |
 ★नवरात्र के आठवें दिन माता के अष्टम स्वरूप माँ महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। 
★नवरात्र के नौवे दिन माता के नवम स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना बड़े विधि विधान के साथ की जाती है।