अतिथि के दर्जे पर बवाल

 


छत्तीसगढ़ में विपक्ष की ओर से साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशे जारी हैं। भाजपा के पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने मुस्लिम धर्मगुरु हाशिमुद्दीन अल-कादरी अल-गिलानी अल-बगदादी को राजकीय अतिथि का दर्जा देने पर सवाल उठाए हैं। जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के समय जारी ऐसे ही आदेश सार्वजनिक कर दिए हैं।

ईराक के बगदाद के प्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरु हाशिमुद्दीन अल-कादरी अल-गिलानी अल-बगदादी इन दिनों छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं। वे जगदलपुर में कई कार्यक्रमों में शामिल होने पहुंचे हैं। अल-बगदादी, सूफी संत गौसे आजम के वंशज बताए जाते हैं। राज्य सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया है। पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने राजकीय अतिथि के दर्जे पर सवाल उठा दिए हैं। पटेल ने सोशल मीडिया पर सरकार की ओर से जारी आदेश को साझा करते हुए लिखा, इस्लामी देश से आए इराकी धर्मगुरु हाशिमुद्दीन अलकादरी जिलानी अब छत्तीसगढ़ के राजकीय मेहमान बने! पटेल ने लिखा, संतों को घसीटेंगे, गाली देंगे और धर्म विशेष के विदेशियों को राजकीय मेहमान बनाएंगे।

जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा, कुछ भक्त भूपेश बघेल सरकार द्वारा एक मुस्लिम धर्मगुरु को राजकीय अतिथि का दर्जा देने वाला पत्र वायरल कर रहे थे। उन्हीं के लिए मैं रमन सिंह सरकार के समय जारी चार पत्र जारी कर रहा हूं, जिनमें मुस्लिम धर्मगुरुओं को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया गया था। इसके साथ ही आरपी सिंह ने लिखा, करारा जवाब मिलेगा। आरपी सिंह ने जो पत्र जारी किए हैं, उनमें एक अक्टूबर 2011 में जारी हुआ था, उसमें भारत में ऑथोडॉक्स चर्च के प्रमुख बेसिलियोस मास्थोमा पौलोस -2 को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है। दूसरा पत्र फरवरी 2014 का है जिसमें मुस्लिम धर्मगुरु हजरत हाशमी मियां अशरफी जिलानी को राज्य अतिथि बनाया गया था। तीसरा पत्र दिसम्बर 2011 का है जिसके जरिए अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन जैनुल आबेदीन को राजकीय अतिथि बनाया गया था। वहीं मई 2010 में जारी चौथे पत्र से अल्लामा हाशमी अशरफी जिलानी को राजकीय अतिथि का दर्जा देने की बात थी।

बस्तर प्रवास पर भी जताया संदेह

भाजपा नेता निश्चय वाजपेयी ने मुस्लिम धर्मगुरु के बस्तर प्रवास पर भी संदेह खड़ा करने की कोशिश की है। वाजपेयी ने सोशल मीडिया पर लिखा, नक्सली हिंसा के चलते जिस बस्तर में दूसरे प्रदेश के लोग जाने से घबराते हैं, वहां दूसरे देश के इस्लामिक धर्मगुरु का राज्य अतिथि बनकर दौरा करना बहुत अटपटा और रहस्यमयी लग रहा है।