प्रदेश में हर पांच में से एक व्यक्ति उपेक्षित रोगों से ग्रस्त, बीमारियों को लेकर जागरूकता जरूरी

 

रायपुर । छत्तीसगढ़ में हर पांच में से एक व्यक्ति उपेक्षित रोगोें से ग्रसित है। यानी ऐसी बीमारियां जो सामाजिक व आर्थिक रुप से कमजोर तबके में सर्वाधिक देखी जाती है। इन बीमारियोें से बचाव के लिए विभाग अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। रोगियोें केउपचार के साथ उन्हेें रोग प्रबंधन केलिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में राज्य नोडल अधिकारी (फाइलेरिया) डा. जीजे राव ने बताया कि एनटीडी बीमारियों में राज्य में फाइलेरिया (हाथीपांव), कुष्ठरोग, हाइड्रोसिल (अंडकोश की बीमारी), लिम्फेडेमा (लसीका तंत्र में रूकावट या शरीर के हिस्सों में सूजन), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज जैसी बीमारियां देखने को मिलती है। छत्तीसगढ़ के वेक्टर रोग जनित कार्यक्रम अधिकारी, राज्य नोडल अधिकारी (फाइलेरिया) डा. जीजे राव ने बताया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुसार राज्य में एनटीडी के पूर्ण उन्मूलन के लिए राज्य स्तर से ग्राम स्तर तक सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस समय राज्य में कुल 4916 लिम्फेडेमा एवं 4927 हाइड्रोसिल प्रकरण हैं। वर्ष 2021 में कुल 2600 लिम्फेडेमा मरीजों को रोग प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया गया एवं 541 हाईड्रोसिल प्रकरणों का आपरेशन किया गया। डा. राव ने कहा कि एनटीडी रोगों को नेग्लेक्टेड यानी उपेक्षित समझा जाता है, मगर अब इन पर स्पाटलाइट लाने का समय है ताकि इन मुद्दों पर और अधिक ध्यान दिया जाए और इस संबंध में मिशन मोड पर कार्रवाई की जाए।

शिविर लगाकर करते हैं उपचार

डा. जीजे राव राज्य में कभी-कभी शिविर लगाकर एनडीटी से जुड़ी बीमारियों का उपचार और दवाओं का वितरण किया जाता है।