CG में शराबबंदी पर समाज ही एकमत नहीं

 


छत्तीसगढ़ में अभी शराबबंदी पर कोई निर्णय होता नजर नहीं आ रहा है। सरकार द्वारा नवा रायपुर के वाणिज्यिक कर भवन में बुलाई गई बैठक में शराबबंदी पर सभी समाज एक राय नहीं हो सके। बैठक में सिख, मुस्लिम और अन्य समाज के प्रतिनिधि पूर्ण शराबबंदी का नुकसान बताने लगे तो इससे पहले अफसरों ने भी शराबबंदी से होने वाले राजस्व नुकसान और अवैध कारोबार बढ़ जाने का खतरा बताया। दरअसल, शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों की समिति बनाने की घोषणा जनवरी 2019 में की थी।

बैठक में आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास ने बताया- कोरोनाकाल में ही शराब से 300 करोड़ रुपए की आय सरकार को हुई है। पूर्व में हरियाणा-आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू थी, उन्हें अपने कदम वापस खींचने पड़े हैं। कई राज्यों में शराब और दूसरे नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री बढ़ गई। अपराध बढ़ गए। ऐसी स्थिति में नुकसान है। बाद में समाज के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी।

कोई बोला देशी बंद करो, किसी ने आदिवासी परंपरा की दुहाई दी
सिख समाज के प्रतिनिधि जशवीर सिंह घुमन ने पूर्ण शराबबंदी का सीधे तौर पर विरोध किया। उनका कहना था, देशी शराब की बिक्री बंद कर दी जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें कम कर दी जाएं। मुस्लिम समाज ने आदिवासी परंपरा की दुहाई दी। उनके प्रतिनिधि शेख नाजीमुद्दीन ने कहा, यहां की बड़ी आबादी आदिवासी बाहुल्य है। जिस समाज में शराब की मान्यता है वहां पूर्ण शराबबंदी लागू होने से व्यवस्था बिगड़ जाएगी। यादव समाज के रमेश यदु ने कहा, पूर्ण शराबबंदी की जगह सरकार कोचियो पर लगाम लगाए।

ऐसे ही विचार कुछ और समाज प्रतिनिधियों की ओर से भी आए। कुछ लोगों का सुझाव था कि शराब की दुकानों को धीरे-धीरे कम कर दिया जाए और मूल्य बढ़ा दिया जाए। इससे यह लोगों की पहुंच में नहीं रहेगी और लोग शराब से दूर हो जाएंगे। बैठक में अर्जुन हिरवानी, शालिक राम वर्मा, ललित बघेल, विनय तिवारी, एल.एल. कोसले, राजेन्द्रनाथ पटेल, राजेश वासवानी, पंकज जसवानी, कर्तव्य अग्रवाल, अनुराग अग्रवाल, वैष्णव क्षत्री, ओमप्रकाश मानिकपुरी, रामअवतार सिंह, और आनंद निषाद ने अपने-अपने समाज का प्रतिनिधित्व किया।

अग्रवाल समाज ने पूछा - नशा मुक्ति केंद्र कितने हैं
अग्रवाल समाज के प्रतिनिधि ने पूछा कि सरकार की मंशा अगर पूर्ण शराबबंदी की है तो बताए कि प्रदेश में कितने नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं। आबकारी अधिकारी इसका जवाब नहीं दे पाए। अग्रवाल समाज के प्रतिनिधि का सुझाव था, शराब पर लगने वाले उप कर को नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन पर खर्च किया जाए।

आदिवासी समाज ने कहा, ग्राम सभा को अधिकार दें
सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने कहा, हर बार शराब की मान्यता को लेकर आदिवासी समाज का जिक्र आता है। शराब हमारी परंपरा और अनुष्ठानों में शामिल है, लेकिन इसे कम भी किया जा सकता है। समाज जागरुक हो रहा है। उन्होंने कहा, अनुसूचित क्षेत्रों में शराबबंदी का अधिकार ग्राम सभाओं को दे देना चाहिए। वे अपनी परंपरा और परिस्थिति के मुताबिक इसे लागू करें।

कलार समाज की महिला प्रतिनिधि ने मांगी पूर्ण शराबबंदी
कलार समाज की प्रतिनिधि की तौर पर आईं किरण सिन्हा ने पूर्ण शराबबंदी लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, इसकी वजह से परिवार टूट रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत महिलाओं और बच्चों के सामने है। सरकार नशा मुक्ति केंद्र, अवैध शराब की रोकथाम आदि की व्यवस्था करे और प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करे।