न्यायधीश ने कोर्ट से बाहर आकर दिव्यांग को दिलाया न्याय

 


कोरबा।  तीन साल पहले हुई सड़क दुर्घटना में पूरी तहर लाचार हो चुके एक 42 साल के व्यक्ति के क्षतिपूर्ति राशि मामले की सुनवाई करने खुद न्यायधीश कोर्ट से बाहर निकल कर उसके पास पहुंचे। कार में बैठे दिव्यांग का आरोपित के साथ समझौता कराते हुए 20 लाख का मुआवजा दिलवाया। राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान जिला न्यायालय परिसर में समझौतानामा के लिए वादी प्रतिवादियों की भीड़ लगी रही।

इन में दिव्यांग द्वारिका प्रसाद कंवर 42 वर्ष की दुर्घटना बीमा राशि का मामला उल्लेखनीय रहा। बताया जा रहा है कि तीन दिसंबर 2018 की सुबह पांच बचे द्वारिका प्रसाद को लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते ही ट्रेलर क्रमांक सीजी 12 एस 5293 में सवार राजकुमार ने मानिकपुर के पास ठोकर मार दी। इस घटना से द्वारिका के गर्दन के पास रीड की हड्डी टूट गई। आपरेशन कर राड डाला गया। इस वजह से उसका संपूर्ण शरीर शिथिल हो गया। 

अब वह आजीवन कोई कार्य नहीं कर पाएगा। सड़क दुर्घटना के बाद से परिवार के सामने भरण पोषण की गंभीर समस्या उत्पन्न् हो गई। इस मामले को निपटारा करते हुए न्यायधीश बीपी वर्मा ने 20 लाख की मुआवाज के साथ राजी नामा कराया। खासबात यह रही कि दिव्यांग कोे कार से उतर कर कोर्ट तक जाने में परेशानी न हो इसलिए न्यायधीश वर्मा खुद बाहर निकल कर कोर्ट परिसर में खड़े उस कार तक पहुंचे जिसमें द्वारिका प्रसाद सवार था।  

उनके साथ द्वारिका के अधिवक्ता पीएस राजपूत व बीमा कंपनी के अधिवक्ता रामनारायण राठौर भी साथ में मौजूद रहे। तीन साल से चल रहे इस प्रकरण का निपटारा पल भर में संवेदनशीलता पूर्वक न्यायधीश ने कराया। ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों से आए थे। जिनमें दीवानी के अलावा फौजदारी शामिल थे। आनलाइन के अलावा आफलाइन सुनवाई की गई। लोक अदालत का आयोजन जिला सत्र न्यायलय के अलावा तहसील न्यायालयाें में किया गया। आयोजन 6773 प्रकरण रखे गए जिनमें 5444 प्रकरणों का निदान हुआ। 

मोटर दुर्घटना के 16 मामले निराकृत
लोक अदालत में मोटर दुर्घटना के 16 प्रकरणों का निपटारा हुआ। दुर्घटना दावों में दोनो पक्षों को अदालत ने राजीनामा कराते हुए पीिडत पक्ष को 91 लाख 95 हजार का मुआवजा दिलवाया। निराकृत छोटे बड़े मामलों में कुल 14 करोड़ 27 लाख 81हजार का मुआवाज आवार्ड अदालत ने पारित कराया। इसके अलावा बैंक, बीमा, लोन, बिजली बिल सहित विभिन्न प्रकरणों की सुनवाई कर निराकरण किया।