रायपुर राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत नरवा विकास के तहत जल संचय और जलस्रोतों के संरक्षण संवर्धन के लिए महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के माध्यम से हो रहे कार्यों से खेती-किसानी को मजबूती मिल रही है इससे सिचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ है और किसानों की आजीविका सशक्त हो रही है जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड में बहने वाले छिनपुरवा एवं धविया (नाला) के उपचार से स्थानीय किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पानी मिल रहा है। पहले बमुश्किल सितम्बर माह तक बहने वाले नरवा अब फरवरी माह तक बह रहा है। ग्राम पंचायत द्वारा नरवा के पुनर्जीवन के लिए किए गए योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।
जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड नवागढ़ के ग्राम पंचायत भादा आश्रित ग्राम गाड़ापाली एवं अकलतरी ग्राम पंचायत जंहा से छिनपुरवा एवं धविया नाला होकर बहता है। यह नाला आगे जाकर हसदेव नदी में मिलता है। महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से नरवा उपचार के बाद कभी सितम्बर तक सूख जाने वाले नाले में अब बरसात के बाद फरवरी और मार्च माह तक पानी भरा रहता है। इस नाले में कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली।
भादा ग्राम पंचायत एवं ग्राम पंचायत अकलतरी से बहने वाले छिनपुरवा नाले पर 1.798 लाख रूपये से गेबियन स्ट्रक्चर तैयार किया गया। इसी तरह ग्राम पंचायत भादा के आश्रित ग्राम गाड़पाली में बहने वाले धविया नाला पर 1.798 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति से निर्माण किया गया। जिला एवं जनपद पंचायत के तकनीकी अमले के मार्गदर्शन में यह नाला तैयार किया गया। जिसमें महात्मा गांधी नरेगा के मजदूरों को रोजगार भी मिला और इस नाले के आसपास की जमीन का भूजल स्तर बढ़ गया। एक तरफ जहां किसानों को नाले पर गेबियन स्ट्रक्चर निर्माण होने के बाद पानी मिला तो दूसरी ओर मनरेगा के मजदूरों को इससे रोजगार प्राप्त हुआ।
जून 2020 में जब इस नाले के पानी को रोकने के लिए गेबियन स्ट्रक्चर तैयार हुआ है और आसपास के किसानों के बोरवेल में पानी आने लगा। जिससे उनको दोहरी फसल लेने की आस जाग उठी। किसानों के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान आई और भविष्य की बेहतर उम्मीदें इस नाले से जाग गई। किसानों का कहना है कि नाला के पानी से न केवल आसपास का भूजल स्तर बढ़ेगा बल्कि आगामी सालों में इस नाले में और अधिक पानी रूकने लगेगा। इस योजना के माध्यम से कृषि एवं संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यही नहीं इससे जल स्रोतों का संरक्षण एवं उनको पुनर्जीवित किया जा सकेगा।
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