रायपुर। छत्तीसगढ़ में
मनरेगा कई रूपों में लोगों का जीवन बदल रहा है।महात्मा गांधी राष्ट्रीय
ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम रोजगार देने के साथ ही आजीविका के साधनों को
भी मजबूत कर रहा है। ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए
रोजगार के वैकल्पिक साधन भी निर्मित कर रहा है। कोरिया जिले के किसान
धर्मपाल सिंह के जीवन में मनरेगा हवा का सुखद झोंका लेकर आया है। खेत में
मनरेगा से बने तालाब में मछलीपालन कर वे अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे
हैं। बेहतर हुई माली हालत के कारण धर्मपाल सिंह पुत्री के थैलेसीमिया से
पीड़ित होने पर बेहतर उपचार हो कराया। इलाज के लिए आर्थिक मदद के लिए किसी
का मुंह नहीं ताकना पड़ा। मुश्किल वक्त में मनरेगा से बना तालाब संजीवनी
बना।
मनेन्द्रगढ़
विकासखण्ड के मुसरा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव बाही के साढ़े तीन एकड़
जोत के छोटे किसान हैं धर्मपाल सिंह। मनरेगा से खेत में तालाब खुदाई के
पहले उनकी कृषि बारिश के भरोसे थी। धान की खेती के बाद आजीविका के लिए वे
मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों तथा गांव के दूसरे बड़े किसानों के
यहां मिलने वाले कामों पर निर्भर थे। पत्नी लक्ष्मी के साथ मजदूरी कर
परिवार का पेट पालते थे। पांच सदस्यों के परिवार में जब उनकी तीसरी संतान
दस साल की पूर्णिमा को थैलेसीमिया नामक रक्त न बनने की बीमारी हुई, तो
परिवार परेशानी में आ गया। धर्मपाल सिंह के सामने परिवार के भरण-पोषण के
साथ बेटी के लगातार चलने वाले इलाज के लिए पैसों के इंतजाम की भी चुनौती
थी।
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