ऑनलाइन एजूकेशन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस भेज मांगा जवाब



कोरोना काल में पढ़ाई किताबों से निकलकर मोबाईल की छोटी सी स्क्रीन पर सिमट गई है। महामारी के दौर में टेक्नोलाजी का उपयोग कर छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन एजूकेशन दी जा रही है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं भी हैं जो किन्हीं वजहों से ऑनलाइन एजूकेशन का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में हर छात्र के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक समान हो, इस मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्वाट ने केन्द्र और राज्य सरकारों को नोटिस कर जवाब मांगा है।


कोरोना काल में पढ़ाई किताबों से निकलकर मोबाईल की छोटी सी स्क्रीन पर सिमट गई है। महामारी के दौर में टेक्नोलाजी का उपयोग कर छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन एजूकेशन दी जा रही है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं भी हैं जो किन्हीं वजहों से ऑनलाइन एजूकेशन का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में हर छात्र के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक समान हो, इस मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्वाट ने केन्द्र और राज्य सरकारों को नोटिस कर जवाब मांगा है।


गरीबों को नहीं मिल पा रही शिक्षा

सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका गुड गवर्नेंस चैम्बर्स नाम से एक एनजीओ ने दाखिल की है। एनजीओं के वकील दीपक प्रकाश ने कोर्ट में कहा कि कोरोना काल में सभी छात्रों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है. खासकर गरीब परिवारों के बच्चे घरों में बंद हैं, जिनके पास ना कंप्यूटर है और ना ही इंटरनेट कनेक्टिविटी. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बच्चों की संख्या लाखों में है जिनके माता-पिता मजदूर हैं और जो शहरों में रोजी रोटी छोड़कर अपने घरों को लौटे हैं. उन्होंने कहा कि अमीर घरों के बच्चों को शहरों में ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराई जा रही है, लेकिन गरीब बच्चों को नहीं.

ऑनलाइन यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी की मांग, इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि कौन सा स्कूल और कौन सा शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पर क्या शिक्षा दे रहा है, यह भी साफ नहीं है. इसमें भी एक समानता होनी चाहिए. इन्हीं सब के चलते याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वे कोरोना काल के मद्देनजर ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक समान पाठ्यक्रम व कार्यक्रम तैयार करें और सभी छात्रों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने की व्यवस्था करें.