दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर की व्यवसायिक नगरी गीदम की साक्षी सुराना बस्तर की पहली महिला पायलट बन गई हैं। साक्षी ने विंग्स एविएशन बेगमपेट हैदराबाद में पायलट का दो वर्ष का प्रशिक्षण लिया है। दो सौ घंटे के उड़ान लक्ष्य का प्रमाणपत्र प्राप्त कर विमान उड़ाने की पात्रता हासिल कर ली है। बता दें कि गीदम वही शहर है, जहां 2003 में नक्सलियों ने हमला किया था। लंबे समय तक यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित रहा था। पिता जवाहर और मां जयंती सुराना सहित पूरा परिवार बेटी की सफलता से अभिभूत तो गीदम गौरवांवित है। इस छोटे से कस्बे से इसके पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा और वन सेवा में युवा चयनित हो चुके हैं। साक्षी ने पायलट बनकर इतिहास रच दिया है। जवाहर सुराना बताते हैं कि साक्षी ने कॉमर्स में स्नातक और बीबीए की पढ़ाई पूरी करके प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की सोच रही थीं। इसी दौरान कोरोना महामारी ने देश-दुनिया को चारदीवारों में कैद कर दिया। यहीं से साक्षी की सोच बदल गई। साक्षी बताती है कि कमरे में बंद रहने के दौरान परिवार के सदस्यों से चर्चा में पायलट बनने की इच्छा घरवालों के सामने व्यक्त की तो सभी ने सहमति दे दी। मोबाइल में पायलट बनने के लिए की जाने वाली पढ़ाई और तैयारी की जानकारी लेकर आगे बढ़ने की ठान ली थी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन्होंने पायलट के प्रशिक्षण के लिए चयन परीक्षा दी। चयन होने के बाद हैदराबाद के प्रशिक्षण केंद्र में कोर्स पूरा किया। प्रशिक्षण के अनुभव को साझा करते हुए साक्षी बताती हैं कि कुछ अलग करने का जुनून ही सफलता की गारंटी होती है। साक्षी ने 200 घंटे की उड़ान का प्रमाणपत्र हासिल करने के साथ ही DGCA से लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया है। उन्होंने एयर इंडिया में पायलट की पोस्ट के लिए अप्लाई किया है। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो इसी साल से वह उड़ान भरने लगेगी।
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