शेख आबिद किंग भारत न्यूज़ से
रायपुर । में प्रदेश के विभिन्न जन संगठनों ने भाग लिया और बस्तर में हिंसाग्रस्त आदिवासियों के साथ एकजुटता जताई। किसान, मजदूर और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में गृह मंत्री जी की बस्तर यात्रा की आड़ में हुई मुठभेडों पर सवाल उठाए और सरकार से नक्सल उन्मूलन के नाम पर किए जा रहे संवैधानिक अधिकारों के हनन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।
सलवा जुडूम के दौर को छोड़ कर, इस वर्ष 2024 में सुरक्षा बर्लो द्वारा सबसे अधिक लोगों को मुठभेड़ों में मारने का दावा है दिसंबर 2023 से आज पर्यंत 235 से अधिक लोग नक्सली होने के नाम पर मारे गए हैं। ग्रामीणों ने कई बार दावा किया है कि इनमें से कई मुठभेड फर्जी हैं, जो लोग माते गए है, उनका माओवादी संगठन से कोई लेनदेन नहीं है, या जिन को मारा गया वो निहत्थे थे और किसी को कोई खतरा नहीं पहुंचा रहे थे। दूसरी ओर, माओवादी संगठन की भी हिंसात्मक कार्यवाही बढ़ी है, और उन्होंने भी इस वर्ष पुलिस मुखबिर के आरोप लगाकर 60 से अधिक नागरिकों की हत्या की है।
गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर आगमन से कुछ ही दिन पूर्व 11-12 दिसंबर को बीजापुर, नारायणपुर में तीन मुठभेड हुई जिनमें सुरक्षा बलों के जवानों ने 10 लोगों को मारा है- अबूझमाड़ (नारायणपुर) के ग्राम कुम्मम में 11.12.2024 को 7 लोगों को ढेर किया है. बीजापुर के ग्राम मूंगा में पांडु माडवी नामक व्यक्ति को भी 11.12.2024 को मारा है, और बीजापुर के ग्राम नेंद्रा में 12.12.2024 को 2 लोगों को मार गिराया है। इन तीनों मुठभेड़ों को अलग अलग गांववालों ने फर्जी बताया है, और उक्त 10 मृतकों में से केवल 2 लोगों की ही माओवादी होने की पुष्टि हो रही है।
ग्रामीणों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय पत्रकारों को बताया है कि अबूझमाड़ में कुम्मम में सभी गांववाले खेतों में कोसरा धान की कटाई और मिनजाई में व्यस्त थे, जब 11 दिसंबर की सुबह सुबह 8-9 बजे वहां डीआरजी के जवान आए और खेती कर रहे ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें वहीं कुछ लोग ढेर हो गए, बाकी लोग डर कर जंगल की ओर भाग गए, और कम से कम चार नाबालिग भी पुलिस फायरिंग में घायल हो गए हैं। 7 मृतकों में से गांववाले 5 को साधारण ग्रामीण बता रहे हैं। बीजापुर में मूंगा के गांववाले बता रहे हैं कि पांडु माड़वी अपने खेत में काम कर रहा था, जब अचानक से फोर्स आ गई। वह डर के मारे में वहां से भाग कर किसी के घर में छिपा, पर जवानों ने उसका पीछा किया, और घर में घुस कर सबके सामने उसे गोली दागी। दिनांक 12.11.2024 को ग्राम नंद्रा के ग्रामीण बताते हैं कि उनके गांव में भी डीआरजी के जवान आए थे और उन्होंने 2 निहत्थे लोगों को पकड़कर मारा है। उधर
माओवादियों ने भी दिसंबर 2024 के पहले हफ्ते में ही बीजापुर में तीन अलग अलग घटनाओं में 3 लोगों को पुली की मुखबिरी करने के शक में मौत के घाट उतारा है। पूरे बस्तर में भय और दहशत का माहौल फैला हुआ है।
मुठभेड़ों के अलावा भी आदिवासी जनता अपने गांवों में असुरक्षित महसूस कर रही है। बीजापुर के कोंडापल्ली और आसपास के गांव से खबर आ रही है कि जब से वहां एक सुरक्षा बल का कैंप 2 महीने पहले खुला है, गांव पर लगातार बम फेंके जा रहे है। पहले तो रात में ही, आस पास के जंगलों और खेतों पर फेंके जाते थे, पर अब दिन के समय और आबादी इलाके में भी फेंके जा रहे हैं। इन बमों का इतना आतंक है कि ग्रामीण अपने खेत की तरफ भी जाने में डर रहे हैं, और अपनी पकी हुई धान भी नहीं उठा पा रहे हैं। अगर इस बमबारी को तुरंत रोका नहीं गया तो अगले साल इन गांवों में भूखमरी फैल जाएगी।
पिछले कई वर्षों से बस्तर में जगह जगह पर बनाए गए सुरक्षा बलों के कैंपों के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन चल रहा है, इस बात को लेकर कि इनका निर्माण ग्राम सभा की अनुमति के बिना हुआ है, जो विधि विहीन है। इस वर्ष इन प्रदर्शनों को भी निर्मम तरीके से कुचला गया है, और इनका नेतृत्व कर रहे युवा संगठन "मूलवासी बचाओ मंच" को भी 30 अक्टूबर 2024 को सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। छत्तीसगढ़ विशेष जन स्रक्षा अधिनियम के अंतर्गत इस संगठन को प्रतिबंधित करने का कारण " सरकार द्वारा विकास कार्यों का विरोध एवं इन विकास कार्यों के संचालन हेतु निर्माण किए जा रहे सुरक्षा कैंपों का विरोध दर्शाया गया है जो अपने आप में अभूतपूर्व है। इस मंच पर किसी हिंसक कार्यवाही में।
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