बिलासपुर। जनजातीय नायक बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत प्रसिद्ध युवा चित्रकार और समाजसेवी रवि कुमार पैकरा ने बिलासा पब्लिक स्कूल में भाषण, रंगोली और पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस आयोजन ने विद्यार्थियों में कला और रचनात्मकता को नई दिशा दी। 500 से अधिक छात्रों की भागीदारी ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया। चित्रकला और रंगोली प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। चित्रकला प्रतियोगिता में वैभव विश्वकर्मा (12वीं) ने प्रथम स्थान हासिल किया। शोभा पात्रे (10वीं) और निधि साहू (11वीं) ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। रंगोली प्रतियोगिता में भूमिका साहू (11वीं) ने प्रथम स्थान प्राप्त कर सभी को प्रभावित किया। प्रीति साहू (12वीं) और दुर्गाशनी (11वीं) ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल कर अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। रवि पैकरा ने अपने संबोधन में कहा कि, कला सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज के बदलाव का भी सशक्त उपकरण है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल छात्रों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना था। बल्कि, जनजातीय नायकों के प्रति सम्मान और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देना था। रवि कुमार पैकरा, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध युवा चित्रकार और समाजसेवी हैं। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से फाइन आर्ट्स में मास्टर डिग्रीधारी रवि अब तक 35 हजार से अधिक युवाओं को चित्रकला और रंगोली का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुके हैं। वे अपनी कला के माध्यम से जनजातीय संस्कृति, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करने में सक्रिय हैं। गुमनाम जनजातीय नायकों की कहानियों को जीवंत करना उनकी कला का प्रमुख उद्देश्य है। वर्ष 2021 में केन्द्र सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का सम्मान करना है। इस दिन देशभर में जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर, उनकी परंपराओं और उनके गौरवशाली इतिहास को समझने और सम्मानित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिवस जनजातीय समाज के संघर्षों और उनके योगदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस का महत्व केवल बिरसा मुंडा जी के योगदान को याद करने तक सीमित नहीं है। यह जनजातीय समाज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का जश्न मनाने का भी दिन है। जनजातीय समाज ने भारत के इतिहास में अहम भूमिका निभाई है। यह गौरव दिवस उनकी सांस्कृतिक धरोहर, संघर्षों और उपलब्धियों का सम्मान करता है। यह अवसर सभी भारतीयों को यह याद दिलाने का भी है कि जनजातीय समाज भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण व अभिन्न हिस्सा है और उनके योगदान को हमें सदैव संजोकर रखना चाहिए।
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