रायगढ़।
अति गरीब लोगों के आवास अधूरे पड़े हैं। प्रधानमंत्री शहरी और ग्रामीण
आवास योजना वर्ष 2016-17 में शुरू हुई थी। जिला पंचायत से मिली जानकारी के
अनुसार, ग्रामीण इलाकों में 942 से ज्यादा आवास ऐसे हैं जो या तो अधूरे
हैं, या निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है। नगर निगम स्तर पर भी 200 से ज्यादा
आवास के मामले लंबित पड़े हैं। सिविल इंजीनियर का कहना है कि वर्ष 2016 से
2023 तक शहरी क्षेत्र में अनुदान 2.50 लाख और ग्रामीण क्षेत्र में अनुदान
1.30 लाख रुपये के साथ 17 हजार रुपये की मनरेगा मजदूरी का प्रविधान किया
गया था। पहले महंगाई कम थी तो इतनी लागत में मकान बन गए। वर्ष 2024 तक
निर्माण सामग्री के दाम आसमान पर चढ़ गए। 18 प्रतिशत जीएसटी अलग है। वही
देखा जाए तो इससे अब अनुदान राशि से मकान बनाना मुश्किल है। कम दिख रही
राशि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में वर्ष 2024 में लागत 10 हजार
रुपये कम दिख रही है। पहले लागत 1.30 लाख रुपये दिख रही थी, अब 1.20 लाख
नजर आ रही है। इस लागत के साथ 18 हजार रुपये मनरेगा मजदूरी और 12 हजार
शौचालय के अलग हैं। सरकार ने लागत राशि घटा दी है। इस साल 22 हजार मकान
बनाए जाने हैं।
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