भिलाई। टाउनशिप सहित शहर भर में आतंक का पर्याय बन चुके अमित जोश उर्फ मोरिस का पुलिस ने अंत कर दिया। अमित जोश के खिलाफ हत्या सहित अन्य गंभीर अपराध के कुल 36 मामले दर्ज थे। पांच महीने पहले दो युवकों पर गोली चलाने के बाद से फरार अमित जोश भिलाई लौटा और लौटते ही पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। उसकी फायरिंग में क्राइम डीएसपी हेमप्रकाश नायक, एसीसीयू प्रभारी तापेश्वर नेताम समेत अन्य पुलिस कर्मी बाल बाल बचे। जिसके बाद पुलिस ने जवाब में फायरिंग की और अमित जोश का एनकाउंटर किया। बता दें कि अमित जोश जिले का एक कुख्यात गुंडा बदमाश था। रंजिश के चलते और बिना किसी कारण के लोगों को मारने सहित लूट जैसे गंभीर अपराध में वो जेल जा चुका था। 25 जून को विश्रामपुर के सुनील यादव और आदित्य सिंह नाम के युवकों पर गोली चलाए जाने के बाद एसपी ने उस पर 10 हजार और आईजी ने 25 हजार रुपये के पुरस्कार की घोषणा की थी। लेकिन वो पकड़ा नहीं गया। अमित जोश के अपराध का इसी बात से अंजादा लगाया जा सकता है कि उसे सुधारने के लिए जेल में सख्ती किए जाने से नाराज होकर उसने जेल से बाहर आने पर जेल के घर पर पथराव कर दिया था। जेल के दरवाजे पर तलवार से मारा था। आदतन अपराधी अमित जोश उर्फ मोरिस ने वर्ष 2000 में पहली बार एक युवक चाकू मारा था। इसके बाद नौ साल तक उसने कोई अपराध नहीं किया और वर्ष 2009 में उसके खिलाफ फिर से मारपीट का मामला दर्ज हुआ। इसके बाद से उसने लगातार अपराध करना शुरू कर दिया। वर्ष 2013 में उसने और उसके कुछ अन्य साथियों ने कल्याण कालेज के सामने सेक्टर-7 निवासी लक्की सिंह नाम के युवक की हत्या की थी। इसके बाद उसके खिलाफ हत्या का प्रयास के पांच, लूट के चार और आर्म्स एक्ट सहित अन्य अपराधों के कुल 36 मामले दर्ज किए गए। बता दें कि यह दुर्ग जिले का तीसरा एनकाउंटर है। वर्ष 2005 में हिस्ट्रीशीटर गोविंद विश्वकर्मा का एनकाउंटर किया गया था। उसके खिलाफ हत्या, फिरौती, लूट, मारपीट और पुलिस पर हमला करने सहित अन्य गंभीर अपराध दर्ज थे। इसके बाद वर्ष 2011-12 में पुलिस ने जामुल बोगदा पुलिया के पास नागेश नाम के नक्सली का एनकाउंटर किया था। इसके बाद अब अमित जोश का एनकाउंटर हुआ है।
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