नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है, जिसके लिए ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है, जो मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है। श्रीमती पटेल ने शनिवार को सऊदी अरब के जेद्दा में रोगाणुरोधी प्रतिरोध- एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर चौथे मंत्रिस्तरीय उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध एक वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है जिसके लिए ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। यह मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में सहयोग और तालमेल पर बल देता है। सम्मेलन का विषय ‘घोषणा से कार्यान्वयन तक - एएमआर की रोकथाम के लिए बहुक्षेत्रीय भागीदारी के माध्यम से कार्रवाई में तेजी लाना’ है। श्रीमती पटेल ने इसके लिए निगरानी को मजबूत करने, सहयोग को बढ़ावा देने और एंटीमाइक्रोबियल पहुंच में बाधाओं को दूर करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत विभिन्न क्षेत्रों में एएमआर का पता लगाने और निगरानी क्षमताओं में सुधार लाने के उद्देश्य से एक व्यापक दृष्टिकोण का प्रस्ताव करता है, जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर साक्ष्य-आधारित एंटीमाइक्रोबियल उपयोग को निर्देशित करने के लिए डेटा का उपयोग हो सके। यह विभिन्न क्षेत्रों में एकीकृत और अंतर-संचालन निगरानी प्रणालियों के निर्माण की नींव रखेगा।” उन्होंने सदस्य देशों से क्षेत्रीय और बहुक्षेत्रीय सहयोग और समन्वय को मजबूत करने में समर्थन देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“भारत विकासशील देशों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में रोगाणुरोधी दवाओं, निदान तथा टीकों की पहुंच एवं सामर्थ्य में बाधाओं को दूर करने पर जोर देता है।” उन्होंने कहा कि एएमआर में योगदान देने वाले कारक अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग हैं और इसलिए इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्थानीय संदर्भ के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।
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