शेख आबिद किंग भारत न्यूज़
देश में शांति एवं न्याय पूर्ण समाज की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध जमात-ए-इस्लामी हिंद:!
संस्था के छत्तीसगढ़ प्रदेश के मीडिया सचिव अब्दुल वाहिद सिद्दीकी ने हैदराबाद में हुए इज्तेमा की जानकारी देते हुए बताया कि इस इज्तेमा का केन्द्रीय विषय अदल व किश्त था , जिसका उद्देश्य लोगों को यह बताना था कि समाज में इंसाफ के साथ न्याय कैसे किया जा सकता है ! इस्लाम के द्वितीय खलीफा हजरत उमर इंसानों के साथ साथ जानवरों के अधिकारों के लिए भी बहुत फिक्रमंद रहते थे , वह कहा करते थे कि मुझे डर है कि अगर दरिया ए नील के किनारे कोई जानवर भी प्यास से मर गया तो ईश्वर के यहां मैं क्या जवाब दूंगा !
देश में धार्मिक सद्भाव बना रहे , देश के सभी धर्म के लोग प्यार मुहब्बत से रहें इसके लिए जरूरी है कि भारत के संविधान का पालन किया जाए सभी धर्मो के लोगों को चाहिए कि भारतीय संविधान में दिए गए अधिकारों का सम्मान करें जमात-ए-इस्लामी. हिंद ने शांति व न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए सदस्यों से इसे और मजबूत करने का आह्वान किया है। 15-17 नवंबर तक हैदराबाद में आयोजित जमात-ए- इस्लामी हिंद के अखिल भारतीय सदस्य सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सामुदायिक मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किया गया।
प्रस्ताव में जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इस बात पर चिंता जताई कि सांप्रदायिक ताकतों के लगातार उकसावे ने भारत के मुसलमानों के लिए स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। उनके संस्थानों, इबादतगाहों, संपत्तियों
नए वक्फ बिल को पूरी तरह किया खारिज
प्रस्ताव में जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि यह सम्मेलन नए वक्फ बिल को पूरी तरह खारिज करता है। यह एक स्वागत योग्य पहलू है कि मुसलमानों ने वक्फ बिल की खामियों और उससे होने वाले बड़े नुकसान को जनता के सामने स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इसमें कहा गया कि जमात ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने भी अपना पक्ष पूरी स्पष्टता के साथ रखा और मांग की है कि लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए इस बिल को सिरे से खारिज कर दिया जाए।
■ प्रस्ताव में कहा गया कि मुसलमानों को सभी स्तरों पर देश बंधुओं और उनके प्रभावशाली लोगों के साथ अपने संबंधों को मजबूत और व्यापक बनाने तथा आपसी विश्वास, प्रेम और सहयोग का माहौल बनाने के प्रयास तेज करने चाहिए।
और व्यक्तियों को कानूनी जटिलताओं और कभी-कभी अवैध कार्रवाइयों और हिंसा के माध्यम से लक्षित किया जा रहा है। न्यायिक कार्यवाही की धीमी गति न्याय और कानून के शासन पर सवाल उठा रही है। इस इज्तेमा में जमात-ए-इस्लामी हिंद के 15000 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया जिसमें सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई तथा आध्यात्मिकता, अंतर-धार्मिक संवाद, मानवाधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को कवर किया गया। इस मौके पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, जमाअत के उपाध्यक्षों प्रोफेसर सलीम इंजीनियर और मलिक मोतसिम खान ने भी हिस्सा लिया।
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