फोन पर चिल्ला रही पत्नी को स्टेशन मास्टर ने कहा- 'ओके’, रेलवे को हो गया 3 करोड़ का नुकसान

 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रेलवे स्टेशन मास्टर द्वारा लगाई गई तलाक की अर्जी का एक रोचक मामला आया। स्टेशन मास्टर पति का कहना था कि पति ड्यूटी के समय फोन लगाकर झगड़ा करती थी। एक बार फोन पर झगड़े को शांत करने उसने घर आकर बातचीत करने करने की समझाइश देकर ओके कहा। इस ओके को सुन ड्यूटी पर मौजूद साथी ने सुनकर ट्रेन गलत ट्रैक पर मोड़ दी। पति का कहना था कि शादी के बाद जब पति व परिवार वाले रिसेप्शन दे रहे थे तब पत्नी ने पति को किनारे लेकर बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के लाइब्रेरियन के साथ उसका प्रेम संबंध है,कई बार शारीरिक संबंध भी बना चुकी है। इतना ही नहीं पत्नी ने पति ये यह भी कहा कि अब प्रेमी को भुलाना नामुमकिन है। उसे वह भूल नहीं सकती। पहले दिन इस तरह के खुलासे और ससुराल वालों की समझाइश के बाद पति ने सब-कुछ सहन कर लिया। पर पत्नी की हरकतें बढ़ती ही गई। परेशान पति ने हाई कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दायर कर दी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पत्नी के व्यवहार को लेकर ना केवल तल्ख टिप्पणी की है, साथ ही याचिकाकर्ता पति को तलाक की मंजूरी भी दे दी है। याचिकाकर्ता भारतीय रेलवे में स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि जब वह ड्यूटी पर रहता था तब पत्नी जानबूझकर मोबाइल पर फोन कर परेशान करने लगती थी। एक दिन ऐसे ही फिर उसका फोन आया। काल रिसीव करते ही झगड़ने लगी।

उसने घर आकर सब ठीक कर लेने की बात कही और फिर फोन रखने से पहले ओके कहा। जब वह पत्नी से बात कर रहा था उस वक्त ऑफिस में सहयोग स्टेशन मास्टर भी ड्यूटी कर रहा था। उनके मुंह से निकले ओके शब्द को सुनकर सहयोगी स्टेशन मास्टर ने नक्सल क्षेत्र के लिए मालगाड़ी को सिग्नल दे दिया। याचिकाकर्ता ने बताया कि रात 10 बजे से सुबह 6 तक नक्सल क्षेत्र में यातायात पर बैन रहता है। ओके शब्द के चलते मालगाड़ी को सिग्नल दे दिया। इसके चलते रेलवे को तीन करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में उसे निलंबन की सजा मिली। पत्नी के इस व्यवहार से परेशान पति ने परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई। मामले की सुनवाई के बाद परिवार न्यायालय ने पति के आवेदन को खारिज कर दिया। परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे एवं जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट के पत्नी के व्यवहार को पति के खिलाफ क्रूरता मानते हुए याचिकाकर्ता पति को तलाक की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को रद कर दिया है।

याचिकाकर्ता विशाखापटनम निवासी स्टेशन मास्टर की 12 अक्टूबर 2011 को चरौदा भिलाई निवासी युवती से हिन्दू रीति रिवाज से शादी हुई। इसके बाद 14 अक्टूबर 2011 को पति व परिवार वालों ने विशाखापटनम में रिसेप्शन अयोजित किया। रात में पत्नी ने पति को बताया कि उसका इंजीनियरिंग कॉलेज के लाइब्रेरियन के साथ प्रेम संबंध है। उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाया है, उसे भूल नहीं सकती।पति ने इस बात की जानकारी उसके पिता को दी। पिता ने भविष्य में ऐसा नहीं करेगी कहा व इसकी गारंटी ली। इसके बाद भी पत्नी के व्यवहार में कोई अंतर नहीं आया। याचिका के अनुसार जब वह घर पर होता था तब उसके सामने ही वह अपनी प्रेमी से मोबाइल के जरिए बात करती थी। पत्नी ने 498 के तहत पति, उसके 70 वर्षीय पिता, शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व मौसेरे भाई-बहन के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पति के आवेदन को दुर्ग न्यायालय ट्रांसफर किया गया। दुर्ग परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर पति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका पेश की। हाई कोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पत्नी ने पति पर भाभी के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाए थे, जबकि याचिकाकर्ता की मां का 2004 में निधन हो गया है। उसकी शादी में भाभी ने मां के सभी रस्म निभाई थी। पति व उसके शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व अन्य रिश्तेदार जो अलग रहते है उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट लिखाई। दहेज में कब व कैसे नकद रकम दिया गया नहीं बता पाई। याचिका की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने परिवार न्यायालय के फैसले को रद करते हुए याचिकाकर्ता पति को तलाक की मंजूरी दे दी है।