बिलासपुर।
14 नवंबर से शुरू होने वाले इस अभियान में हर खरीदी केंद्र पर दो-दो
सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की व्यवस्था होगी। इससे किसी भी प्रकार की
गड़बड़ी पर नजर रखी जा सकेगी। तौल के दौरान इलेक्ट्रानिक तराजू का इस्तेमाल
होगा, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। खाद्य सचिव ने सभी
कलेक्टरों को निर्देश दिए कि खरीदी केंद्रों पर किसानों की सुविधा के लिए
छाया-पानी जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं समय से पूरी कर लें। खरीदी केंद्रों में
सीसीटीवी लगाने का खर्च 25 हजार रुपये प्रत्येक खरीदी केंद्रों पर आ रहा
है। इसका खर्च वर्तमान में समिति ही उठा रही है। इसके लगने ने बाहर से आने
वाली धान में काफी हद तक अंकुश लग सकेगा। साथ ही धान खरीदी केंद्रों में
होने वाली छुट-पुट चोरी पर भी नजर रखी जा सकेगी। सचिव अन्बलगन पी ने कहा कि
राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों को धान बेचने में किसी प्रकार की
परेशानी न हो, इस पर है। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक किसान का
निर्धारित लिमिट के अनुसार एक-एक दाना धान खरीदा जाए। किसानों को टोकन जारी
किए जाएंगे, जिसमें सात दिन बाद उनकी धान बिक्री की तिथि आएगी। राज्य
सरकार ने प्रति एकड़ अधिकतम 21 क्विंटल धान खरीदी की सीमा तय की है। सचिव
ने किसानों के नकद भुगतान के लिए बैंक से पर्याप्त मात्रा में नकदी
सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। खाद्य सचिव ने धान खरीदी प्रक्रिया में
दलालों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए कलेक्टरों से कहा कि ऐसे व्यक्तियों
की पहचान पहले से कर ली जाए और उन पर नजर रखी जाए। उन्होंने पांच ऐसे
केंद्रों पर खुद कलेक्टरों से सीधी निगरानी रखने का अनुरोध किया, जहां
गड़बड़ी की आशंका अधिक हो। किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर तत्काल
कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। धान खरीदी के दौरान मौसम की अनिश्चितता
को ध्यान में रखते हुए सचिव ने निर्देश दिए कि बेमौसम वर्षा से फड़ पर रखे
धान को बचाने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएं। साथ ही खरीदी प्रक्रिया का
परीक्षण और संभावित त्रुटियों का समय रहते समाधान कर लिया जाए, ताकि किसी
प्रकार की बाधा न हो।
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