नयी दिल्ली । दुनिया की प्रमुख उर्वरक उत्पादक सहकारी कंपनी कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको) ने भारतीय जैविक कृषि में फसलों की उपज और खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए डेनमार्क की जैव उत्पाद कंपनी नोवोनेसिस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। कृभको के प्रबंधनिदेशक एम.आर. शर्मा और नोवोनेसिस की कार्यकारी उपाध्यक्ष टीना एस फानो ने सोमवार को यहां इस आशय के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते के अनुसार दोनों संगठन भारतीय कृषि में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक उपाय करेंगे और किसानों लिए इसे लाभदायक बनायेंगे। इस अवसर पर श्री शर्मा ने कहा कि सहयोग के पहले चरण में, भारतीय किसानों को अपनी विभिन्न सभी फसलों अनाज, साग सब्जी और फलों के लिए नोवोनेसिस के एलसीओ (लिपो-चीटो - आलिगोसे केराइड्रस) उन्नत माइकोरिज़ल जैव उर्वरक - “ कृभको राइजोसुपर” उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद, अगले चरण में दोनों कंपनियां पादप-स्वास्थ्य में उपयोगी नोवोनेसिस के जैव उत्पादों को भारत में प्रयाेग की संभावनाओं का पता लगाएंगी। इसके अतिरिक्त, कृभको के जैव उर्वरक उत्पादन संयंत्रों को मजबूत करने और अपनी मुख्य माइक्रोबियल तकनीक की मदद से उत्पादों को समृद्ध बनाने में भी नोवोनेसिस सहायता करेगी। कृभको “राइजोसुपर” में ऐसे प्रासंगिक एंड्रोमाइको राइजा (पौधों की जड़ों के लिए उपयोगी कवक या फफूंद) की प्रजातियों का एक अनूठा संयोजन शामिल होता है। यह जैव उत्पाद फसलों के लिए उपयोगी कवकों के गुच्छों का जड़ों के पास की मिट्टी में तेजी फैलाव करने मे सहायक होता है और राइजोस्फीयर (जड़ के आसपास की मृदा) में लाभकारी माइक्रोबियल (समस्त जीवाणुओं की ) गतिविधि को बढ़ाता है। इस प्रौद्योगिकी से पौधे की वृद्धि मजबूत होती है और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारती है। यह फॉस्फेट वाले उर्वरक, अन्य पोषक तत्वों और पानी के व्यावहारिक उपयोग को संवर्धित करने में भी सहायक है। नोवोनेसिस के प्लैनेटरी हेल्थ बायो सॉल्यूशंस के प्रभारी एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष ( पश्चिम एशिया, भारत और अफ्रीका बाजार) कृष्ण मोहन पुव्वाडा ने कहा कि यह साझेदारी जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और भारत में एक टिकाऊ कृषि का मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण है।
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