नयी दिल्ली । जैन धर्म के आचार्य श्री अमर मुनि की हीरक जयंती पर ‘‘गुरु अमर संयम अमृत महामहोत्सव” रविवार से बेंगलुरु में आरंभ होगा। महोत्सव आयोजन समिति से जुड़े मुनि श्री वरुण ने शुक्रवार को यहां कहा कि श्री अमर मुनि ने समाज सुधार की दिशा में अथक प्रयास किये तथा समाज पर उनका व्यापक और गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने कहा कि श्री अमर मुनि ने अपने उदात्त आचार, विचार और धर्म-प्रचार से मानव-समाज को एक नई दिशा दी। मुनि श्री वरुण ने बताया कि श्री अमर मुनि का जन्म सन् 1936 को अविभाजित भारत के क्वेटा बलूचिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) में एक प्रतिष्ठित क्षत्रिय कुल में हुआ। इसके बाद वह लुधियाना में आचार्य श्री आत्माराम के सान्निध्य में आए। वह हरियाणा के सोनीपत शहर में गुरुमुख से दीक्षा-मंत्र ग्रहण कर अमरनाथ ‘अमर मुनि’ बने। वह एक ओजस्वी और रस-सिद्ध प्रवक्ता थे। श्री अमर मुनि ने जैनागमों का हिन्दी-अंग्रेजी में अनुवाद कराया एवं ललित चित्रों सहित प्रकाशन कराया। इससे अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी आदि अनेक देशों में उनका संदेश पहुंचा।
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