रायपुर। सिविल जज (व्यवहार न्यायाधीश) भर्ती परीक्षा में चल रहे विवाद को लेकर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग आठ जनवरी को हाई कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखेगा। राज्य सूचना आयोग के आदेश के बाद भी संशोधित माडल आंसर नहीं मिलने पर अभ्यर्थी मासूम राठौर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किया।याचिका में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पीएससी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। पीएससी आठ जनवरी को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। पीएससी की तरफ से भी राज्य सूचना आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट याचिका दायर की गई है। अभ्यर्थी मासूम राठौर के पक्ष में राज्य सूचना आयोग ने पीएससी को सात दिन के अंदर संशोधित माडल आंसर देने के लिए आदेश दिया था। पीएससी ने अभी तक संशोधित माडल आंसर नहीं दिया। राज्य गठन के बाद अबतक पीएससी से हुई लगभग सभी भर्तियों में कुछ न कुछ विवाद जुड़ा रहा है। हाल ही में 2021-22 राज्य सेवा भर्ती परीक्षा के जारी नतीजों में तो बड़ा विवाद हुआ है। तत्कालीन पीएससी चेयरमेन टामन सिंह सोनवानी के ऊपर अपने रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी समेत अन्य पदों पर भर्ती कराने का आरोप लगा है। भाजपा नेता ने 18 उम्मीदवारों को लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है। प्रदेश में भाजपा सरकार आते ही फर्जीवाड़ा खुलासों में तेजी आई है। अभ्यर्थी मुखर होकर भाजपा नेताओं से संपर्क कर अलग-अलग भर्तियों में हुई गड़बड़ियों के बारे में बता रहे हैं। भाजपा के बड़े नेता भी पीएससी भर्ती में हुई गड़बड़ी का मामला उठाते रहे हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान भी पीएससी भर्ती गड़बड़ी को मुद्दा बनाया था। भाजपा सरकार बनने पर अभी तक हुई सभी भर्तियों की जांच करवाने का भी आश्वासन दिया था। सीजीपीएससी, व्यापमं जैसी प्रतियोगी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का भी वादा किया है। सिविल जज की 48 पदों पर भर्ती हो रही है। इसके लिए फरवरी में प्रारंभिक परीक्षा हुई थी, इसके बाद मुख्य परीक्षा मई में हुई। मुख्य परीक्षा के आधार पर 152 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चुना गया है। विवाद के बीच दो जनवरी से साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं।
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